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भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ चर्चा में क्यों? घोड़ों की रेस में गधे की निकल पड़ी…?”

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आख़िर किसके लिए कहें हैं शब्द भाजपा मिडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ ने ?
            
बात करेंगे जल्द आपसे और ख़ुलासा भी करेंगे इसका आपके सामने

तब तक आइए चर्चा करते हैं भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ के अनर्गल और बेसिरपैर के कारनामों की

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ की बदज़ुबाँनी का बबाल

मोदी सरकार जहाँ एक ओर देश की दिशा और दशा के लिए एक सकारात्मक मिशन पर काम कर रही हैं वहीं दूसरी और उसके इस विशाल वृक्ष रूपी अभियान को खोखला कर रहे हैं उसी के संगठन में बैठे पदाधिकारी जो ज़ुबाँ खोलने से पहले और ग़लत बात या काम करने से पहले क्षण भर भी नहीं सोचते

       घोड़ों की रेस में गधे की निकल पड़ी…?
ज़रा बताएँ तो मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ….
कौन घोड़ा? कौन गधा?

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ ने यह पंक्तियाँ किसके लिए कही यह हम बाद में बताएंगे मगर उपरोक्त पंक्तियाँ विधानसभा चुनावों के दौरान कही गयी जो कि बेहद निंदनीय और धिक्कार योग्य हैं।
हालांकि गधे की क़ीमत वह जाने जो मेहनत करके आगे बढ़ा हो जो शॉर्ट कट और सिफ़ारिश से आगे आये वो गधे की क़ीमत क्या समझेंगे?

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ के बड़बोलेपन से हो रहा बबाल

घोड़ों की रेस में गधे की निकल पड़ी….विधानसभा चुनावों में किसके लिए और क्यों ये बदतमीजी भरे शब्द कहे भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ ने?

दोहलापन,बदतमीजी और दुर्व्यवहार से सीनियर पत्रकारों से पेश आना भाजपा मीडिया प्रमोद कुमार वशिष्ठ की पहचान

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रश्न पूछने वालों पर क्यों बरसते हैं मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ?

चाहे कॉन्फ्रेंस राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री भारत की हो या निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री भारत की हो या भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री राजस्थान की हो

पत्रकारों की आवाज़ का गला घौंटने वाले प्रमोद वशिष्ठ आम जनता के साथ क्या करेंगे?

क्या भाजपा जैसे विशाल बरगद के लिए दीमक हैं प्रमोद वशिष्ठ का व्यवहार?

BJP मीडिया ग्रुप से हटा देना, प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने पर पाबंदीऔर तो और एक लिस्ट उन पत्रकारों की बनाना जो जागरूक हैं और नीम करेले की तरह भले हों लेकिन भाजपा को सही दिशा दिखाने वाले हों उनसे दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार क्यों?

जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री मोदी अपने सौम्य व्यवहार से देश को एक करने में लगे हैं वहीं उनके कार्यकर्ता बाँटने का संदेश दे रहे हैं अपने दोगलेपन और दुर्व्यव्हार से?

जैसे अरुण जोशी पूर्व DIPR अतिरिक्त निदेशक और कांग्रेस मीडिया प्रभारी स्वर्णिम चतुर्वेदी के एक्टिव पत्रकारों के साथ दोगलेपन और दुर्व्यव्हार ने कांग्रेस की दुर्गति कर दी वहीं प्रमोद कुमार वशिष्ठ भी भाजपा की छवि धूमिल न कर दे

शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के ख़ास लोगों में से आते हैं क्योंकि ओम बिरला के ओएसडी राजीव दत्ता के समधी जो हैं और समधियों का ख़्याल राजस्थान में ज़्यादा ही रखने का रिवाज़ है। एक गाढ़ा रिश्ता और हैं मीडिया प्रभारी जी का कि  उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के चुनावी दौर में व्यवस्थाओं को अंज़ाम भी इन्हीं ने दिया।ऐसे में लोकसभा स्पीकर सहित उपमुख्यमंत्री का सानिध्य लाभ भी इन्हें अब मिलता आ रहा है कि इन्हें बिना सोचे समझे ही भाजपा मुख्यालय में मीडिया प्रभारी के पद पर  विराजमान कर दिया गया है।
जहाँ पर एक वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार की दरकार थी वहाँ व्यापारी का क्या काम था? प्रोपर्टी डीलिंग और टेंट हाउस व्यवस्था भाजपा मिडिया प्रभारी प्रमोद विशिष्ठ के व्यापार का हिस्सा रहे हैं ऐसे में उन्हें मीडिया प्रभारी बनाना ख़ुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा काम है राजस्थान भाजपा संगठन के लिए।
    चुनावी दौर में व्यवस्थापक की भूमिका सम्भाल रहे प्रमोद वशिष्ठ से ओम बिरला और दीया कुमारी के मुख्यमंत्री की दौड़ का मामला छिपा नहीं था मगर मोदी और शाह की रणनीति के चलते इनके अरमानों पर गाज़ गिरी और  फर्श से अर्श तक पहुँच गए भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होकर। दिलों पर बिजली के साथ-साथ परमाणु बम ब्लास्ट भी हो गया उन लोगों के जो बड़े-बड़े दिग्गज़ों के साथ दिन रात लगे थे इस मुख्यमंत्री दौड़ में उन्हें  मुख्यमंत्री पद पर विराजमान देखने को।
  अब यक्ष प्रश्न भजन सरकार से
     क्या भजन सरकार के भविष्य के लिए मीडिया विभाग का निष्पक्ष,सरल,सहज होना आवश्यक नहीं है। मीडिया प्रभारी बने प्रमोद वशिष्ठ ओम बिरला को अपना
भावी मुख्यमंत्री मान चुके थे ऐसे में भजनलाल शर्मा का मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होना उनके मुंगेरीलाल के हसीन सपनों को ले डूबा है।
 ऐसे में मीडिया में दोहरी नीति अपनाकर,कर्मठ और क़ाबिल पत्रकारों से बार-बार बदसलूकी कर,विज्ञापनों की राशि में ज़मीन आसमान का अन्तर रख मीडिया प्रभारी क्या भजन सरकार की जाजम खींचने का काम कर रहे हैं?
    लगातार होती वीवीआईपी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ का अनर्गल दख़ल,मीडिया प्रश्नोत्तरी काल को टालना,पत्रकारों को डराना धमकाना,भाजपा मीडिया समूह से हटा देना,द्वेषतावश विज्ञापन न देना कहीं भजन सरकार को भारी न पड़ जाए क्योंकि मीडिया आसमान पर उठाती है तो ज़मीन पर पटकनी भी दे देती है अगर आप जनता और ज़मीन से जुड़े नहीं रहेंगे तो!
इसका उदाहरण हैं कांग्रेस काल के कांग्रेस मीडिया प्रभारी स्वर्णिम चतुर्वेदी और सूचना जनसम्पर्क विभाग के अतिरिक्त आयुक्त अरुण जोशी जिन्होंने मीडिया के साथ दोहरी और दोगली नीति अपनाई। सही सूचना और सही बात रखने वाले पत्रकारों को कांग्रेस के आला पदाधिकारियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर रखा आख़िर कांग्रेस का बुरा हश्र हुआ ऐसे में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और भजन सरकार को भाजपा मुख्यालय के मीडिया प्रभारी को रीप्लेस करने की महत आवश्यकता है।

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ चर्चा में क्यों? घोड़ों की रेस में गधे की निकल पड़ी…?”

आख़िर किसके लिए कहें हैं शब्द भाजपा मिडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ ने ?
            
बात करेंगे जल्द आपसे और ख़ुलासा भी करेंगे इसका आपके सामने

तब तक आइए चर्चा करते हैं भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ के अनर्गल और बेसिरपैर के कारनामों की

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ की बदज़ुबाँनी का बबाल

मोदी सरकार जहाँ एक ओर देश की दिशा और दशा के लिए एक सकारात्मक मिशन पर काम कर रही हैं वहीं दूसरी और उसके इस विशाल वृक्ष रूपी अभियान को खोखला कर रहे हैं उसी के संगठन में बैठे पदाधिकारी जो ज़ुबाँ खोलने से पहले और ग़लत बात या काम करने से पहले क्षण भर भी नहीं सोचते

       घोड़ों की रेस में गधे की निकल पड़ी…?
ज़रा बताएँ तो मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ….
कौन घोड़ा? कौन गधा?

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ ने यह पंक्तियाँ किसके लिए कही यह हम बाद में बताएंगे मगर उपरोक्त पंक्तियाँ विधानसभा चुनावों के दौरान कही गयी जो कि बेहद निंदनीय और धिक्कार योग्य हैं।
हालांकि गधे की क़ीमत वह जाने जो मेहनत करके आगे बढ़ा हो जो शॉर्ट कट और सिफ़ारिश से आगे आये वो गधे की क़ीमत क्या समझेंगे?

भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ के बड़बोलेपन से हो रहा बबाल

घोड़ों की रेस में गधे की निकल पड़ी….विधानसभा चुनावों में किसके लिए और क्यों ये बदतमीजी भरे शब्द कहे भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ ने?

दोहलापन,बदतमीजी और दुर्व्यवहार से सीनियर पत्रकारों से पेश आना भाजपा मीडिया प्रमोद कुमार वशिष्ठ की पहचान

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रश्न पूछने वालों पर क्यों बरसते हैं मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार वशिष्ठ?

चाहे कॉन्फ्रेंस राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री भारत की हो या निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री भारत की हो या भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री राजस्थान की हो

पत्रकारों की आवाज़ का गला घौंटने वाले प्रमोद वशिष्ठ आम जनता के साथ क्या करेंगे?

क्या भाजपा जैसे विशाल बरगद के लिए दीमक हैं प्रमोद वशिष्ठ का व्यवहार?

BJP मीडिया ग्रुप से हटा देना, प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने पर पाबंदीऔर तो और एक लिस्ट उन पत्रकारों की बनाना जो जागरूक हैं और नीम करेले की तरह भले हों लेकिन भाजपा को सही दिशा दिखाने वाले हों उनसे दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार क्यों?

जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री मोदी अपने सौम्य व्यवहार से देश को एक करने में लगे हैं वहीं उनके कार्यकर्ता बाँटने का संदेश दे रहे हैं अपने दोगलेपन और दुर्व्यव्हार से?

जैसे अरुण जोशी पूर्व DIPR अतिरिक्त निदेशक और कांग्रेस मीडिया प्रभारी स्वर्णिम चतुर्वेदी के एक्टिव पत्रकारों के साथ दोगलेपन और दुर्व्यव्हार ने कांग्रेस की दुर्गति कर दी वहीं प्रमोद कुमार वशिष्ठ भी भाजपा की छवि धूमिल न कर दे

शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।भाजपा मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के ख़ास लोगों में से आते हैं क्योंकि ओम बिरला के ओएसडी राजीव दत्ता के समधी जो हैं और समधियों का ख़्याल राजस्थान में ज़्यादा ही रखने का रिवाज़ है। एक गाढ़ा रिश्ता और हैं मीडिया प्रभारी जी का कि  उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के चुनावी दौर में व्यवस्थाओं को अंज़ाम भी इन्हीं ने दिया।ऐसे में लोकसभा स्पीकर सहित उपमुख्यमंत्री का सानिध्य लाभ भी इन्हें अब मिलता आ रहा है कि इन्हें बिना सोचे समझे ही भाजपा मुख्यालय में मीडिया प्रभारी के पद पर  विराजमान कर दिया गया है।
जहाँ पर एक वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार की दरकार थी वहाँ व्यापारी का क्या काम था? प्रोपर्टी डीलिंग और टेंट हाउस व्यवस्था भाजपा मिडिया प्रभारी प्रमोद विशिष्ठ के व्यापार का हिस्सा रहे हैं ऐसे में उन्हें मीडिया प्रभारी बनाना ख़ुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा काम है राजस्थान भाजपा संगठन के लिए।
    चुनावी दौर में व्यवस्थापक की भूमिका सम्भाल रहे प्रमोद वशिष्ठ से ओम बिरला और दीया कुमारी के मुख्यमंत्री की दौड़ का मामला छिपा नहीं था मगर मोदी और शाह की रणनीति के चलते इनके अरमानों पर गाज़ गिरी और  फर्श से अर्श तक पहुँच गए भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होकर। दिलों पर बिजली के साथ-साथ परमाणु बम ब्लास्ट भी हो गया उन लोगों के जो बड़े-बड़े दिग्गज़ों के साथ दिन रात लगे थे इस मुख्यमंत्री दौड़ में उन्हें  मुख्यमंत्री पद पर विराजमान देखने को।
  अब यक्ष प्रश्न भजन सरकार से
     क्या भजन सरकार के भविष्य के लिए मीडिया विभाग का निष्पक्ष,सरल,सहज होना आवश्यक नहीं है। मीडिया प्रभारी बने प्रमोद वशिष्ठ ओम बिरला को अपना
भावी मुख्यमंत्री मान चुके थे ऐसे में भजनलाल शर्मा का मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होना उनके मुंगेरीलाल के हसीन सपनों को ले डूबा है।
 ऐसे में मीडिया में दोहरी नीति अपनाकर,कर्मठ और क़ाबिल पत्रकारों से बार-बार बदसलूकी कर,विज्ञापनों की राशि में ज़मीन आसमान का अन्तर रख मीडिया प्रभारी क्या भजन सरकार की जाजम खींचने का काम कर रहे हैं?
    लगातार होती वीवीआईपी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ का अनर्गल दख़ल,मीडिया प्रश्नोत्तरी काल को टालना,पत्रकारों को डराना धमकाना,भाजपा मीडिया समूह से हटा देना,द्वेषतावश विज्ञापन न देना कहीं भजन सरकार को भारी न पड़ जाए क्योंकि मीडिया आसमान पर उठाती है तो ज़मीन पर पटकनी भी दे देती है अगर आप जनता और ज़मीन से जुड़े नहीं रहेंगे तो!
इसका उदाहरण हैं कांग्रेस काल के कांग्रेस मीडिया प्रभारी स्वर्णिम चतुर्वेदी और सूचना जनसम्पर्क विभाग के अतिरिक्त आयुक्त अरुण जोशी जिन्होंने मीडिया के साथ दोहरी और दोगली नीति अपनाई। सही सूचना और सही बात रखने वाले पत्रकारों को कांग्रेस के आला पदाधिकारियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर रखा आख़िर कांग्रेस का बुरा हश्र हुआ ऐसे में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और भजन सरकार को भाजपा मुख्यालय के मीडिया प्रभारी को रीप्लेस करने की महत आवश्यकता है।


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