अवैध निर्माण में अब हाईकोर्ट एडवोकेट भी कर रहे बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन
क्या राजस्थान उच्च न्यायालय की गरिमा को खंडित नहीं करती अवैध निर्माण पर लगी यह नेम प्लेट
क्या हाइकोर्ट के एडवोकेट्स को नियम तोड़ने का है अधिकार
रामगली न.08,प्लॉट 12 पर यह बानगी देखी जा सकती है। हाईकोर्ट के वकील होने का बोर्ड लगाकर मनमानी करने का इनडायरेक्ट लाइसेंस दिखा रहा है अवैध निर्माणकर्ता
शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।
कॉर्नर प्लॉट है सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण कर मैटेरियल सड़क पर फैला रखा है। गार्ड रूम भी सड़क का कोना घेरकर बना लिया है।
न मालवीयनगर जोन से निर्माण स्वीकृति ली है। नक्शा,लेआउट प्लान निगम से पास नहीं।ऐसे में मालवीय नगर जोन की कार्य प्रणाली तो समझ आ ही रही है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि गोविंद कुमार घीया एवं साराँश घीया वरिष्ठ अधिवक्ता राजस्थान हाईकोर्ट का बोर्ड इस तरह लगाया है कि कोई शिकायत या किसी तरह की कार्यवाही न हो पाए।
क्या राजस्थान हाईकोर्ट के एडवोकेट्स को नियम क़ानून क़ायदे तोड़ने का अधिकार है। क्या बिल्डिंग बायलॉज के नियम इन एडवोकेट्स पर लागू नहीं।
अपनी वरिष्ठता का परिचय एडवोकेट्स इस तरह दे रहे हैं कि आम जन को न्याय दिलाने वाले ख़ुद नियमों का तो उल्लंघन कर ही रहे हैं और तो और ट्रैफ़िक को भी प्रभावित कर रहे हैं। आसपास का वातावरण व यातायात सड़क पर फैले मिट्टी,रेत,सरिये से बाधित और प्रभावित हो रहा है। क्या राजस्थान उच्च न्यायालय की गरिमा इससे खण्डित नहीं होगी कि न्याय की दहलीज़ पर ही अन्याय का खेल हो रहा है और अन्याय और सड़क अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने वाले कोई और नहीं बल्कि राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्तागण हैं।
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