घर बनाने की आड़ में बहुमंज़िला इमारत का अवैध निर्माण प्लॉट 208 रामगली 02 राजापार्क में
मालवीयनगर जोन नगर निगम ग्रेटर में अवैध निर्माणों का सिलसिला तेज़ी से और निगम निष्क्रिय और मौन क्यों?
उपायुक्त अर्शदीप बरार सीज़र की कार्यवाही में पीछे क्यों?
मालवीय नगर जोन नगर निगम ग्रेटर के अवैध निर्माणों पर कार्यवाही नहीं होती न ही नोटिस जारी होते हैं और न ही सीजर होते हैं आख़िर क्यों?
प्लॉट नम्बर 208, राम गली नम्बर 2 राजापार्क में घर बनाने की आड़ में बिल्डर कर रहा राजस्व की चोरी,ज़ीरो सेटबैक अवैध निर्माण सबसे बड़ी बात बिना निगम स्वीकृति और ज़ीरो पार्किंग
नगर निगम ग्रेटर की आयुक्त रुक्मणी रियाड़ भी अवैध निर्माणों के मामले में चुप्पी साधे नज़र आती हैं आख़िर क्यों?
शालिनी श्रीवास्तव
हिलव्यू समाचार, जयपुर।
मालवीयनगर जोन नगर निगम ग्रेटर लगातार अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों से घिरता जा रहा है लेकिन उपायुक्त अर्शदीप बरार और JEN प्रदीप किसी भी तरह की जाँच, मौक़ा मुआयना,नोटिस और कार्यवाही से बचते नज़र आते हैं आख़िर क्यों?
बिना निगम स्वीकृति,ज़ीरो सेटबैक,आवासीय में कमर्शियल,ज़ीरो पार्किंग बहुमंज़िला इमारतें 20-20 फ़ीट की गलियों में बन रही हैं जहाँ का आवागमन तो अवरुद्ध होता ही है बल्कि घनत्व भी बढ़ता है।
बिना फायर सेफ्टी के बनती यह बहुमंज़िला इमारतें अवैध बेसमेंट्स, अवैध पेंट हाउस और ज़ीरो पार्किंग पर बनती हैं जो किसी भी आगजनी जैसी दुर्घटनाओं में बड़े संकट और जानमाल के नुक़सान का संकेत करती हैं।
इसी श्रृंखला में रामगली न.02 में प्लॉट नम्बर 208, राजापार्क में घर बनाने की आड़ में धड़ल्ले से ज़ीरोसेट बैक पर बिना निगम परमिशन के निर्माण कार्य चल रहा है । आसपास में रहने वाले लोग परेशान है शिक़ायत के दौरान रहवासियों ने बताया कि इस तरह के अवैध निर्माण कॉलोनी की शान्ति,साफ-सफाई और मार्ग अवरुद्ध करते हैं और निगम में हमारी शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है।मालवीय नगर जोन आँख और कान बन्द कर के बैठा हुआ है और चुपचाप तमाशा देख रहा है क्योंकि मिलीभगत और साँठगाँठ निगम की भी शामिल है इस अवैध निर्माण में
आख़िर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुँचाने में सरकारी कर्मचारी और अधिकारी अपना योगदान क्यों देते हैं? क्या वजह है कि सड़क पर खड़ी अवैध बहुमंज़िला इमारतें और अतिक्रमण पर मालवीयनगर जोन कार्यवाही नहीं करता न ही नगर निगम ग्रेटर की आयुक्त रुक्मणी रियाड़ इस पर संज्ञान लेती नज़र आती हैं आख़िर क्यों?
सरकार के प्रति निष्ठा न रखकर अवैध निर्माणकर्ताओं के प्रति इन अधिकारियों-कर्मचारियों की निष्ठा व वफादारी दिखतीहै जो कि भ्रष्टाचार का पूर्ण संकेत है और इसी मिलीभगत के कारण निगम का ही नहीं बल्कि हर विभाग का सरकारी खज़ाना खाली ही रहता है ।
भजन सरकार की ढुलमुल नीति और बड़बोलापन अब नज़र आने लगा है कि भ्रष्टाचार ज़ीरो टॉलरेन्स की नीति ठंडे बस्ते में पड़ी सुस्ता रही है और शासन-प्रशासन लगातार भ्रष्टता का चरम छू रहा है।