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आनंदपुर आश्रम,राजापार्क की आस्था पर ग्रहण लगा रहा शराब का ठेका

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आनंदपुर आश्रम,राजापार्क की आस्था पर ग्रहण लगा रहा शराब का ठेका

पिछले 5 साल में गूंगी-बहरी गहलोत सरकार ने नहीं सुनी राजपार्क आनंदपुर आश्रम की पीड़ा

आनंदपुर आश्रम पास के भवन में हो रहा शराब के ठेके का संचालन

2018 से लगातार मुख्य सचिव से लेकर आबकारी विभाग को की गयी शिक़ायत आश्रम की साध्वी,आस-पड़ौस के लोगों और आसपास के सैकड़ों दुकानदारों द्वारा लेकिन नहीं हुई 5 वर्षों में आज तक सुनवाई

बड़े शर्म की बात है कि 300 मीटर की दूरी पर पुलिस थाना मोती डूंगरी भी स्थित है।

शराब की दुकान पर रहता है शराबियों का जमावड़ा। आसपास का वातावरण होता है खराब।

अनेक तरह के असामाजिक तत्वों का भी होता है आना-जाना।

ऐसे में आश्रम और आश्रम के इर्द-गिर्द कॉलोनी का माहौल होता है खराब ।

गौरतलब बात है कि आश्रम के अतिरिक्त इस क्षेत्र में कृष्ण मंदिर,परनामी मंदिर और विद्यालय भी इसी के आसपास संचालित है जिससे इस शराब की दुकान होने के कारण दुष्प्रभाव पड़ता है।

शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार। जहाँ एक ओर पूरे भारत में धर्म की रक्षा और सम्मान का नारा गूँज रहा है वहीं दूसरी ओर इस तरह के मुद्दे शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैँ। शासन प्रशासन की भूमिका साँठगाँठ और मिलीभगत की नज़र आती है जब इन मुद्दों के समाधान नहीं होते।
मामला है राजापार्क एरिया के आनंदपुर सत्संग आश्रम,आचार्य कृपलानी मार्ग,आदर्शनगर का जहाँ आश्रम से लगभग 10-15 मिटर की दूरी पर शराब के ठेके का संचालन हो रहा है।
2018 से लगातार आश्रम संचालिका साध्वी, पास पड़ौस, दुकानदारों की ढेरों शिक़ायतें मुख्य सचिव से लेकर आबकारी विभाग को की गई लेकिन इन गत 5 वर्षों में आज तक सुनवाई नहीं हुई।
आनंदपुर आश्रम की स्थापना 1958 में हुई थी। जहाँ सत्संग,भजन,कीर्तन,धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और सैकड़ों श्रद्धालुओं का यहाँ आना जाना होता है।आश्रम का संचालन महिला साध्वी करती हैं उसके बावजूद 5 साल शासन और प्रशासन गूंगा-बहरा बना रहा।
श्री आनंदपुर सत्संग आश्रम राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1959 के अंतर्गत कार्यालय सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग जयपुर से पंजीकृत है जिसके पंजीयन क्रमांक 210 दिनांक 7 अक्टूबर 1965 है जिसका प्रधान कार्यालय सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग भरतपुर में होने से उक्त प्रन्यास का रिकॉर्ड उस कार्यालय यानी भरतपुर को हस्तांतरित किया जा चुका है।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या कार्यवाही होती है।
हिलव्यू समाचार द्वारा शासन और प्रशासन के समक्ष यह मुद्दा रखा जा रहा है। जिस तरह से देश में आस्था को लेकर एक बड़ा सुखद माहौल बना हुआ है तो क्या आनंदपुर आश्रम का मुद्दा गम्भीरता से लेगी सरकार और करेगी समाधान जल्द?




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