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RAS प्रमोटी IAS डीएलबी निदेशक हृदेश शर्मा इतने भ्रष्ट कैसे? | HS News RAS प्रमोटी IAS डीएलबी निदेशक हृदेश शर्मा इतने भ्रष्ट कैसे? – HS News
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RAS प्रमोटी IAS डीएलबी निदेशक हृदेश शर्मा इतने भ्रष्ट कैसे?

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डीएलबी,निगम,परिषद,जेडीए में फ़र्ज़ीडिग्रीधारक अभियंताओं से करोड़ों की हफ़्ता वसूली का सरगना कौन

भ्रष्टता सम्राट RAS प्रमोटी IAS हृदेश शर्मा को गहलोत सरकार का रहा आशीर्वाद

कांग्रेस पार्टी के ख़ज़ाने के साथ-साथ ख़ुद के लिए भी कुबेर का कुआं खोदते रहे डीएलबी डायरेक्टर हृदेश कुमार शर्मा

मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बीई/बीटेक की डिग्री प्राप्त करने वाले वास्तविक डिग्रीधारक अभियन्ताओं के अधिकारों के साथ डीएलबी में धोखाधड़ी का मामला आज भी है ताज़ा

फ़र्ज़ी डिग्रीधारक अभियंता पहुँचें ऊँचे पदों पर और वास्तविक डिग्रीधारक अभियंता आज भी पदोन्नति के इंतज़ार में…..क्यों ?

फ़र्ज़ीडिग्री धारक अभियंताओं से करोड़ों की हफ़्ता वसूली का सरगना कौन हैं यह होगा अगले अंक में होगा खुलासा

शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार
पूर्व गहलोत सरकार, पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल,वित्त विभाग व्यय एवं भ्रष्ट डीएलबी डायरेक्टर IAS हृदेश शर्मा जवाब दें कि आख़िर जनता के पैसों कैसे डकार गए

◆फ़र्ज़ी यूनिवर्सिटी से फ़र्ज़ी कोर्स बीई/बीटेक की फ़र्ज़ी डिग्री प्राप्त फ़र्ज़ी अभियंता आज भी विभिन्न विभागों जैसे डीएलबी,जेडीए, नगर निगम में कार्यरत क्यों हैं और उन्हें फर्ज़ीवाड़े में बर्ख़ास्त क्यों नहीं किया गया?

◆सम्बंधित तात्कालीन उच्च अधिकारियों पर आज तक
भी कार्यवाही क्यों नहीं हुई फर्ज़ीवाड़े के संबंध में!
◆स्वायत्त शासन निदेशक एवं विशिष्ट सचिव दीपकनन्दी द्वारा दिये गए आदेश क्रमांक प 3 (ड)()का प्र/स्थानि/21/354, 21 अगस्त 2021 द्वारा इस संबंध में जाँच कमेटी गठित की गई थी जिसमें मुख्य अभियंता, वित्तिय सलाहकार व वरिष्ठ संयुक्त विधि परामर्शी की टीम को जाँच के आदेश दिए गए थे।
उपरोक्त कमेटी आज तक निष्क्रिय क्यों है ?
कमेटी ने आज तक जाँच क्यों नहीं सौंपी?
आख़िर कमेटी कहाँ हुई ग़ायब?

◆100 से ज़्यादा फ़र्ज़ी डिग्रीयों पर पदोन्नत अभियन्ताओं की जाँच आज तक भी क्यों है ठंडे बस्ते में?

◆आज भी डीएलबी/निगम/परिषद/सहित कई बड़े विभागों में फ़र्ज़ी डिग्रीधारक अभियंता विराजमान हैं उच्च पदों पर क्यों?

◆मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से बीई/बीटेक की डिग्री प्राप्त करने वाले वास्तविक डिग्रीधारक अभियन्ताओं के अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों जारी है?

हृदेश कुमार शर्मा की मनमानी चरम पर
आटे में नमक जितना खारापन बनाम भ्रष्टाचार बर्दाश्त योग्य हो सकता है मगर यहाँ तो नमक के ढेर में आटे का एक अंशमात्र नहीं। चिल्का झील,सांभर झील,लूनी नदी शर्मिंदा हो गईं हैं डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा का खारापन(भ्रष्टाचार का चरम) देखकर।
भ्रष्टाचार के महासागर में गोते लगाते हुए हृदेश शर्मा शायद यह भूल गए कि पिता हरिहर स्वरूप शर्मा ने क्या प्रदेश से गद्दारी करने के लिए प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा में बैठाया था और RAS बनाया था कि देश को जमकर चूना लगाना और भ्रष्टता के सीमेंट से अपना अवैध बंगला खड़ा करना। झूठ,चोरी और मक्कारी से अपने ख़ज़ाने लबालब भरना।
इसी के साथ 2020 में गहलोत सरकार ने RAS से इसीलिए प्रमोट किया था कि जमकर दलाली करना और ख़ुद भी खाना हमें भी खिलाना।
फ़र्ज़ी डिग्री की सूचनार्थ एक जागरूक व्यक्ति ने एसीबी में शिकायत दर्ज़ की लेकिन उस व्यक्ति को ही ACB उठाकर ले गयी और मामला वहीं दब गया?
हालांकि यह तो हमें ज्ञात नहीं कि पंडित हरिहर स्वरूप शर्मा अपने भ्रष्ट पुत्र के कितने काले कारनामों से वाक़िफ़ होंगे लेकिन हम लगातार आपके यानी जनता के सामने ख़ुलासा करते आ रहे हैं डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा के भ्रष्ट कृत्यों का-

◆डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा इकोलॉजिकल जोन में अवैध घर कैसे बनाकर बैठे हैं।
◆जेडीए व ग्रेटर निगम से फ़र्ज़ी पट्टा कैसे जारी करवा
लेते हैं कि उसमें खसरा नंबर,प्लॉट नंबर यहाँ तक कि
जेडीए उपपंजीयक के हस्ताक्षर व सील ही नहीं है?
◆सरकारी संपत्ति और 3-3 सरकारी गाड़ियों का कैसे
निजी दुरुपयोग करते हैं।
◆वित्त विभाग के संज्ञान में लाये बिना फ़र्ज़ी नियुक्तियाँ
कैसे निकालते हैं।
◆फ़र्ज़ी डिग्रीधारक अभियन्ताओं को पदोन्नत करते है।
बिना वित्त विभाग की स्वीकृति के पदों का सृजन कर
लेते हैं फिर भी वित्त विभाग क्यों कार्यवाही नहीं करता?
◆सबसे बड़ी बात देखिए भ्रष्टता का चरम यह है कि कुछ
ख़ास ड्राइवर और स्टाफ ही भ्रष्टाचार का पूरा प्रबन्धन
संभालते हैं लेकिन एसीबी के सन्देह के घेरे से बाहर
रहते हैं?
◆कब,कैसे,किससे कितना लाना या लेना है और कब तक अपने पास सुरक्षित रखना है सारा दुरुस्त प्रबन्धन ड्राइवर और ख़ास लोग सम्भालते हैं डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा का,कैसे?

आइये जानते हैं फ़र्ज़ी डिग्रियों से पदोन्नत करने का पूरा मामला क्या है?

3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा के आधार पर कनिष्ठ अभियंता पद से नौकरी ज्वाइन करने वाले स्वायत्त शासन विभाग के अंतर्गत विभिन्न निगम/परिषद में कार्यरत अभियंताओं ने बिना एक दिन का अवकाश लिए घर बैठे ही डीम्ड यूनिवर्सिटी से डिग्रियां हासिल की। कैसे यह आज तक जाँच का विषय नहीं बना। जाँच कमेटी आज तक बेहोश और बेसुध पड़ी है उसे कौनसा क्लोरोफार्म सुंघाया गया है बताने की आवश्यकता नहीं है।
सर्वोच्च न्यायलय ने UCG/AICTE से बिना अनुमति इंजीनियरिंग की बीई/बीटेक कोर्स संचालित करने वाली जिन डीम्ड यूनिवर्सिटीज की मान्यता निरस्त की उनके नाम हैं जेआरएन विद्यापीठ उदयपुर राजस्थान,
आईएसीई गांधी विद्या मंदिर सरदारशहर राजस्थान, इलाहाबाद एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट इलाहाबाद उत्तर प्रदेश,विनायक मिशन्स रिसर्च फाउंडेशन सलीम तमिलनाडु, इन्हीं यूनिवर्सिटी से फ़र्ज़ी डिग्री प्राप्त अभियंता आज भी पदोन्नत होकर बड़े-बड़े विभाग डीएलबी,नगर निगम,नगर परिषदों में लगे हुए हैं और सरकार की आँखों में धूल झौंक रहे हैं।
सबसे बड़ी बात किसी भी विभाग ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि डिग्रियां मान्यता प्राप्त संस्थान से जारी भी की गई है या नहीं।
मुख्य सचिव,एसीबी व सरकार के सभी सबंधित अधिकारियों, कार्मिक विभाग,राजस्थान लोक सेवा आयोग,शासन सचिव,प्रमुख सचिव शहरी विकास,स्वायत्त शासन,आवासन विभाग सभी को लगातार लिखित व मौखिक शिक़ायतें देने के बावजूद व अखबारों में प्रकाशित होने के बावजूद भी लगातार इन फ़र्ज़ी डिग्रीधारक अभियन्ताओं की पदोन्नति जारी रही क्यों और कैसे जबकि सर्वोच्च न्यायालय से डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डिस्टेंस एजुकेशन मोड की सभी इंजीनियरिंग डिग्रियों को 2001 से 2017 तक रद्द कर दिया था और उसके बावजूद स्वायत्त शासन विभाग निदेशक हृदेश शर्मा द्वारा 100 से अधिक अभियंताओं को फर्जी डिग्री पर पदोन्नति दे दी गई जिनमें से कुछ नाम की लिस्ट दी जा रही है और सबसे बड़ी बात इनमें से कई अभियंता फर्जी डिग्री पर पदोन्नति होकर पूरी नौकरी करके सेवानिवृत भी हो गए और इसके साथ-साथ अभी कई सारे अभियंता फर्जी डिग्रियों पर लगातार पदोन्नति पा रहे हैं यह फर्जीवाड़ा बड़े-बड़े पे स्केल पर मौजूद है। लेकिन सरकार तक लगातार लिखित शिकायतें पहुंचने के बावजूद सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और सबसे बड़ी बात हृदय शर्मा डीएलबी डायरेक्टर से पूर्व जितने डायरेक्टर आए उन सब ने भी इसमें फर्जीवाड़ा किया और इसी के साथ-साथ वर्तमान डीएलबी डायरेक्टर हृदय शर्मा भी इसकी जांच कमेटी को ठंडे बस्ते में डालकर मासिक बंदी पर लगातार इन अभियंताओं से पैसा वसूल रहे हैं लेकिन किसी भी तरह की कार्यवाही या किसी भी तरह की जांच अब तक इन मामलों में नहीं की गई है सबसे बड़ी बात जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए थे तो उसी समय इन सभी यूनिवर्सिटी की मान्यता समाप्त कर दी गई लेकिन संबंधित यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री प्राप्त छात्रों पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई । ACB में मामला जाने पर एसीबी ने भी डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा के पास जाँच के आदेश हेतु पत्र भेजा लेकिन उसके बावजूद फ़र्ज़ी डिग्रीधारक रमेशचंद शर्मा अधीक्षण अभियंता जयपुर नगर निगम ग्रेटर को बर्ख़ास्त करने के स्थान पर मुख्य अभियंता (ऊर्जा बचत) डीएलबी के पद पर पदोन्नति कर दिया गया जबकि यह पद डीएलबी में स्वीकृत ही नहीं था! फ़र्ज़ी डिग्रीधारकों के लिए डीएलबी द्वारा फ़र्ज़ी पद भी सृजित कर लिए गए खुली आँखों से दिखते भ्रष्टाचार पर वित्त विभाग और सरकार ने आज तक कार्यवाही क्यों नहीं की इस विषय में क्या अब भी आम जनता को समझाने की आवश्यकता है?


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