जार के पदाधिकारी झाड़ रहे पल्ला ज़िम्मेदारी से?
ज़िम्मेदार पदाधिकारी जवाबदेही से बच रहे कि आख़िर 04 वर्षों से चुनाव क्यों नहीं हुए हैं जार के?
प्रश्न जिनके जवाब आज तक नहीं-
प्रदेश कार्यकारिणी में कौन हैं पदाधिकारी और प्रदेश कार्यकारिणी अनाधिकृत तरीक़े से क्यों है संचालित आज भी इसका जवाब देने वाला कोई नहीं?
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय में स्थित जार को कौन करता है संचालित?
जार कार्यालय साधारण सदस्यों को क्यों नहीं होता है उपलब्ध?
जार के सदस्य जार कार्यालय का क्यों नहीं कर सकते सदुपयोग?
आख़िर पूर्व अध्यक्ष हरिबल्लभ मेघवाल किस तरह से बिना चुनाव के बने हुए हैं प्रदेश अध्यक्ष?
आख़िर 04 बार स्वयं इस्तीफ़ा देने वाले महासचिव दीपक शर्मा का क्या है अस्तित्व जार में?
आख़िर मुकेश मिश्रा जिला संयोजक ने बिना वजह क्यों की जिला कार्यकारिणी भंग बिना पूर्व सूचना या बिना बैठक के?
ख़ुद मुकेश मिश्रा किस विधान के तहत जिला संयोजक के पद पर विराजमान मानते हैं ख़ुद को
आख़िर जार ने पत्रकार हित में कितने कार्यक्रम किये हैं आयोजित अब तक?
आख़िर जार पत्रकार संगठन का समाज हित में क्या है योगदान?
आख़िर जार पत्रकार संगठन ने कितने पत्रकारों के हित में काम किया है।
जार के कुल सदस्यों की संख्या क्या है
जार सदस्यों का क्या है परिचय कौन-कौन लोग हैं जार के सदस्य
न जार सदस्यों के नाम का पता है न ही संख्या का पता है न ही उनका है कोई अस्तित्व
शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।
जर्नलिस्ट एसोशिएशन ऑफ राजस्थान पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय एमआई रोड ,जयपुर स्थित पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन का हाल में कोई धणी धोरी नहीं है क्योंकि पिछले 04 साल से जार के चुनाव नहीं करवाये गए हैं बल्कि राठौड़ी से पूर्व पदाधिकारी ही जमे बैठे हैं जार की प्रदेश कार्यकारिणी में।
जार की पिछले 04 वर्षों में पत्रकार हित के सम्बंध में कोई विशेष गतिविधि नहीं रही। जार सक्रिय रूप से संचालित होने का भ्रम दे रहा है लेकिन सार्वजनिक मंच पर जार एसोसिएशन की तरफ से जाने वाला कोई ज़िम्मेदार चयनित पदाधिकारी नहीं है।
जार के लावारिस हालातों का ज़िम्मेदार कौन है और कौन जवाब देगा जार कार्यालय में होने वाले किसी भी मूवमेंट का ?
देश का सबसे बड़ा संगठन होने का दावा करने वाला जार आज अपने अस्तित्व के लिए सँघर्ष कर रहा है । यह सँघर्ष महज एक दो साल से नहीं चल रहा है बल्कि काफी लंबे समय से अपनी पहचान की सत्यता के लिए चल रहा है । यह प्रदेश कार्यालय कभी खुलता है और कभी नहीं खुलता है और सबसे मज़े की बात यह है कि इस संग़ठन में पिछले 04 वर्षों से चुनाव नहीं हो रहे है और बिना चुनाव के ही पूर्व पदाधिकारी ही अध्यक्ष ,महासचिव पद सहित अन्य पदों पर विराजमान चले आ रहे हैं और तानाशाही और मनमानी से जार संगठन की पहचान का फ़ायदा उठा रहे हैं और जार उस बुजुर्ग बाप की तरह अंतिम साँसे ले रहा है जिसका पुत्र बदल गया है और देखभाल करने वाला कोई नहीं बस उसकी दी हुई विरासत का मज़ा वह नकारा पुत्र ले रहा है। वो नकारा पुत्र कोई और नहीं ये पूर्व पदाधिकारी ही हैं जो दही की तरह जम कर बैठे हैं पदों पर बिना अधिकार के और जार को जर्जर अवस्था में पहुँचा रहे हैं।
जार के पूर्व पदाधिकारियों से हुई बातचीत के अंश-