पार्ट 07 : मालवीयनगर जोन निगम ग्रेटर भ्रष्टाचार के चरम पर
प्लॉट न.07 रामगली न.08 को निगम द्वारा मिला द्वितीय नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट के वकील गोविंद घीया और साराँश घीया उड़ा रहे नोटिस का मज़ाक अवैध निर्माण निरन्तर जारी
क़ानून और न्याय के रक्षक ही बन रहे हैं भक्षक सरकारी राजस्व के
मालवीय नगर जोन उपायुक्त अर्शदीप बरार क्या द्वितीय नोटिस के बाद करेंगी सीजर की कार्यवाही या हो गईं हैं बेबस और लाचार हाईकोर्ट के वकीलों के सामने?
ख़बर का असर मगर अधूरा नोटिस नोटिस खेल रहा निगम
शालिनी श्रीवास्तव
हिलव्यू समाचार, जयपुर।
राजापार्क गली नम्बर 8 के प्लॉट नम्बर 7 पर चल रहे अवैध निर्माण को मालवीय नगर जोन नगर निगम ग्रेटर द्वारा द्वितीय नोटिस भी दिया जा चुका है उसके बावजूद हाई कोर्ट के वकील गोविंद घीया और साराँश घीया ज़ीरो सेट बैक पर बिना निगम स्वीकृति के बिना भू रूपांतरण और प्लॉट पुनर्गठन के अवैध निर्माण कर रहे हैं।
राजस्व की चोरी करना और करवाना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आते हैं और यह अपराध हाईकोर्ट के वकील और मालवीय नगर जोन की उपायुक्त अर्शदीप बरार दोनों ही अपने-अपने पावर से कर रहे हैं।
निगम के नोटिस देने के बाद भी लगातार निर्माण कार्य जारी है तो इसका यही अर्थ निकलता है कि उपायुक्त अर्शदीप बरार सिर्फ़ नोटिस-नोटिस का खेल,खेल रही है । हिलव्यू समाचार द्वारा लगातार उपायुक्त अर्शदीप बरार को ख़बरों द्वारा,चैनल की न्यूज़ द्वारा और लिखित तौर पर सूचित करने के बाद भी किसी भी तरह की कोई सख़्त कार्यवाही नहीं की गई है आख़िर क्यों?
सरकारी अधिकारी स्वयं राजस्व का नुकसान क्यों करवा रहे है?
कहीं उपायुक्त अर्शदीप बरार की अंदरूनी साठगाँठ तो नहीं हो गई है हाईकोर्ट के वकील गोविंद घीया और साराँश घीया के साथ।
मुख्य सचिव सुधांशु पन्त को अवैध निर्माणों व अतिक्रमण पर प्रसंज्ञान लेने की आवश्यकता है ऐसे मुद्दों पर क्योंकि राजस्व चोरी देशद्रोह है और यह कोढ़ की तरह पूरे राज्य में फैल रहा है इसी के साथ-साथ इन्कमटैक्स की चोरी लगातार बढ़ रही है। लाख का प्लॉट बहुमंज़िला फ़्लैट्स
में बदलकर करोड़ों में बदल जाता है एक एक फ़्लैट की क़ीमत 60-70 लाख होती है जिसमें से DLC रेट्स पर 30% राशि एक नंबर में और 70% राशि कालेधन के रूप में ली जाती है। ऐसे में सरकारी ख़ज़ाना चाहें इन्कमटैक्स का हो या अवैध निर्माणों के सभी तरह के शुल्कों का यह भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों,अवैध निर्माणकर्ताओं और अतिक्रमणकारियों के ज़ेबों में जाता है और सरकारी ख़ज़ाना इन मंदों में खाली रह जाता है।
ऐसे 300 से ज़्यादाअवैध निर्माण मालवीयनगर जोन में चल रहे हैं जिनकी सूचना लगातार मालवीय नगर जोन को दी जा रही है पर मालवीयनगर जोन कुंभकर्णी नींद में सोया पड़ा है कुछ कुछ अवैध निर्माणों पर कार्यवाही हेतु नोटिस जारी किए गए लेकिन एक माह बाद भी उन नोटिस के बाद की कार्यवाही नहीं की गई है क्योंकि निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब अन्दर ही अन्दर गर्म की जा रही हैं।
प्लॉट न.07 रामगली न.08 में नोटिस के बावजूद 02 छत यानी दो मन्ज़िल और बढ़ा दिया गया और नोटिस मुँह ताकता रह गया और निगम के नोटिस की धज्जियाँ उड़ती रहीं।
क्या यही है सरकारी नोटिस की अहमियत एक हाईकोर्ट के वकील के सामने?