हिलव्यू समाचार व चैनल की ख़बर का हुआ असर: नीलिमा तक्षक के चंगुल से आज़ाद हुआ आरयू का रजिस्ट्रार बंगला
जुलाई 2023 में स्थानांतरण के बावजूद अवैध कब्ज़ा काबिज़ था नीलिमा तक्षक का आरयू के रजिस्ट्रार बंगले पर
हिलव्यू समाचार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक चैनल HSNEWS से लगातार आवाज़ उठाई इस मसले पर
माननीय राज्यपाल व राज्यपाल सचिव गौरव गोयल से लेकर जाँच कमेटी अध्यक्ष आरुषि मलिक से भी की मुलाक़ात और मुद्दा रखा सामने
मुख्य सचिव सुधांशु पन्त,सम्भागीय आयुक्त आरुषि मलिक एवं माननीय राज्यपाल के सचिव गौरव गोयल के संज्ञान में था पूरा मामला। मगर नीलिमा तक्षक इन आला अधिकारियों पर भी हो चली थीं भारी। हिलव्यू समाचार ने लगातार ग़लत के ख़िलाफ़ उठाई आवाज़ और हुआ असर ख़बर का। बंगला आज ख़ाली हो रहा है लेकिन 10 माह पूर्व मिले नो ड्यूज़ के आधार का प्रश्न आज भी उत्तर की प्रतीक्षा में खड़ा है कि जब नीलिमा तक्षक बंगला खाली करके गयीं ही नहीं थी तो उन्हें नो ड्यूज़ किस आधार पर जारी हुआ था 10 माह पूर्व ही?
शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।
प्रशासन,शासन और जनता में कहीं भी हो रहे ग़लत रवैय्ये,ग़लत काम का विरोध दर्ज़ करना और उस ग़लत काम या रवैय्ये को सार्वजनिक कर जनता के बीच लाना हिलव्यू समाचार की दृढ़ कार्यप्रणाली रही है और प्रयास होता है कि शासन-प्रशासन के ज़िम्मेदार और सम्बन्धित अधिकारियों के संज्ञान में आये पूरा मामला और उनके द्वारा उसका समाधान भी अवश्य हो।
इन दिनों आरयू के रजिस्ट्रार बंगले का मामला गम्भीर हो चला था क्योंकि नियमों के विरुद्ध और अपने रसूख के चलते 9 माह से राजस्थान यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार बंगले पर अवैध रूप से कब्ज़ा काबिज़ कर जमी हुई थी पूर्व रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक। जो कि आज वर्तमान में अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (न्याय) जयपुर सेकंड के पद पर विराजमान हैं लेकिन बंगले पर कब्ज़ा करके अपने व्यक्तित्व का शानदार परिचय देती रहीं। विवादों में घिरने के बावजूद टस से मस नहीं हो रहीं थीं।
आरयू की वाइस चांसलर अल्पना कटेजा ने सीएस सुधांशु पन्त सहित माननीय राज्यपाल तक को पत्राचार द्वारा शिक़ायत दर्ज कर दी थी।ऐसे में अल्पना कटेजा के प्रयासों को मुखर आवाज़ दी हिलव्यू समाचार ने अपने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर ख़बर प्रसारण के माध्यम से।
ख़बर का असर हुआ कि माननीय राज्यपाल द्वारा 27 फरवरी 2024 को इस विवाद की जाँच हेतु कमेटी गठित की गई। जिसकी रिपोर्ट 15 दिन में माननीय राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत होनी थी और इस कमेटी की अध्यक्ष सम्भागीय आयुक्त आरुषि मलिक को बनाया गया था लेकिन फिर कई दिन से ऊपर गुज़रने के बाद भी जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। जाँच कमेटी की अध्यक्ष सम्भागीय आयुक्त IAS आरुषि मलिक मामला टालती रहीं और राज्यपाल सचिव IAS गौरव गोयल भी इस जाँच कमेटी की रिपोर्ट आने के प्रति गम्भीर नहीं रहे।
हिलव्यू समाचार की टीम ने इस मामले को लेकर दोनों आला अफसरों से मिलने का प्रयास किया कि आख़िर क्यों मामला ठंडे बस्ते में डाल रखा है?
गौरव गोयल और आरुषि मलिक व्यस्तता की आड़ लेकर मिलने से कतराते रहे अंत में अनेक प्रयासों के बाद आरुषि मलिक से इस सम्बंध में हिलव्यू समाचार टीम की दो मिनट की मुलाक़ात हुई। जिसमें मलिक से 15 दिन की जाँच सम्बन्धित प्रश्न पूछे गये। आरुषि मलिक का कहना था कि जून 2024 तक बंगला ख़ाली कर देंगी नीलिमा जी क्योंकि उनके बच्चे की परीक्षा है। सम्भागीय आयुक्त आरुषि मलिक से इस बचकाने उत्तर की उम्मीद कतई नहीं थी लेकिन हाँ! ग़लत के प्रति सम्भागीय आयुक्त आरुषि मलिक की संवेदना आश्चर्य का विषय ज़रूर बनी।
हिलव्यू समाचार में प्रथम बार प्रकाशित ख़बर पार्ट 01″तक्षक का रक्षक कौन?”
पार्ट 02 में “नीलिमा तक्षक बनी आरयू की बंगला भक्षक!” प्रकाशित किया गया।
हिलव्यू समाचार ख़बर पार्ट 02 में “एक अदनी सी अधिकारी आला अफसरों पर भारी” ने आला प्रशासन को हिला कर रख दिया।
इसमें हिलव्यू समाचार ने शासन-प्रशासन की लचरता को उजागर किया और आख़िर प्रयासों का परिणाम सकारात्मक हुआ और आख़िर 10 माह बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी का रजिस्ट्रार बंगला आज खाली हो रहा है। पूर्व रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक आख़िर आरयू का बंगला छोड़ने को मज़बूर हो ही गयीं।
हालांकि पूर्व रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक जो आज अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (न्याय) जयपुर सेकंड पर बड़ी शान से विराजमान हैं ने अपने आरयू रजिस्ट्रार पद पर रहने के दौरान गैर ज़रूरी काम के ठेके भी पास किये। जिसमें उनकी डिप्टी रजिस्ट्रार श्रुति शेखावत के बंगले का 20 लाख के खर्चे का इंटीरियर बंगला ठेका भी शामिल है। यूनिवर्सिटी के एफए पर दबाव बनाकर कई गैर जरूरी ठेकों के बिल भी पास करवाये गए और नीलिमा तक्षक की आज भी इन वित्तीय अनियमितताओं की जाँच लंबित है।
सबसे बड़ी बात बंगला आज खाली हो रहा है लेकिन नो ड्यूज़ प्रमाणपत्र 10 माह पूर्व ही नीलिमा तक्षक ले चुकी हैं। इससे आरयू के प्रशासन में लगी हुई भ्रष्टाचार की दीमक का पता लगता है। शासन और प्रशासन को इस ओर गम्भीर रूप से सख़्ती और जाँच करने की आवश्यकता है कि जो अधिकारी बिल्डिंग या बंगले से गया नहीं उसे 10 माह पूर्व ही नो ड्यूज़ किस आधार पर दिया गया?
इस प्रश्न का उत्तर आज भी आरयू के रजिस्ट्रार बंगले में गुम है!