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डीएलबी और आदर्शनगर जोन के बीच झूल रहे रिश्वत के 02 करोड़ रुपये

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डीएलबी और आदर्शनगर जोन के बीच झूल रहे रिश्वत के 02 करोड़ रुपये

474-475 बीस दुकानआदर्शनगर की सीजर यदि फ़र्ज़ी शपथ पत्र पर बिना अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण किये खुलती है तो समझ लीजियेगा डीएलबी और नगर निगम आदर्शनगर जोन 02 करोड़ रुपये में  बिल्डर से सेट हो गया

निगम को नँगा-भूखा बनाने में डीएलबी और निगम के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों का पूरा हाथ होता है

शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।
गोपनीय सूत्रों की मानें तो प्लॉट न. 474-475 बीस दुकान आदर्शनगर के अवैध निर्माण कर्ता बिल्डर ने बाजार में चैलेंज किया कि दो करोड रुपए डीएलबी और आदर्श नगर जोन में फैकूँगा और सीजर खुलवा लूँगा। इस अवैध निर्माणकर्ता बिल्डर की बात की सत्यता यह है कि लगातार अवैध निर्माण होती बिल्डिंग्स सीज तो होतीं हैं लेकिन डीएलबी से खुल भी जाती हैं झूठे फर्जी शपथपत्रों पर लेकिन शपथपत्रों के अनुसार न अवैध निर्माण हटाया जाता है न ही सेटबैक नियमों का पालन किया जाता है। इसमें नगर निगम जोन को पूरा अधिकार होता है शपथपत्र के विरुद्ध काम होने पर दुबारा सीजर करने का लेकिन तब तक नगर निगम साँठगाँठ और मिलीभगत कर इस अवैध निर्माण के समर्थक के रूप में खड़ा हो जाता है।

इसी के साथ-साथ विनोद पारवानी की प्लॉट 476 की अवैध बिल्डिंग खड़ी है लेकिन वह सीज नहीं हुई
अवैध निर्माण के  सीजर में  नगर निगम आदर्शनगर जोन हैरीटेज की दोगली नीति क्यों है?

सैकड़ों अवैध निर्माण देखकर प्रश्न उठता है कि अतिक्रमण,अवैध निर्माण या नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाली किसी कार्यवाही के लिए निगम को किसी मुख़बिर,ख़बरी, शिकायतकर्ता की आवश्यकता है तो जेईएन,एईएन,गजधर और निर्माण शाखा का स्टॉफ किस बात की सेलरी उठा रहा है?

प्लॉट 474 – 475 बीस दुकान आदर्श नगर की बिल्डिंग के अवैध निर्माण को सीज किया और उसी के पास ज़ीरो सेटबैक पर बिना नगर निगम परमिशन के बड़े बड़े बेसमैंट और कमर्शियल शोरूम्स व पेंट हाउस सहित बन रही प्लॉट न.476  को सीज़ क्यों नहीं किया गया,क्यों?

474-475-476 तीनों अवैध कर्मशियल निर्माण हैं जिसमें निगम को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया है बिल्डर्स ने ।
बड़े बड़े शोरूम्स, बैसमेंट्स,ढेरों फ्लैट्स, पेंट हाउस,बिना पार्किंग,ज़ीरो सेटबैक पर बिना अनुमति के ये बिल्डिंग्स खड़ी कैसे हो गईं?
बिना निगम अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत या साँठगाँठ के क्या यह सम्भव है या यूँ कहें कि साँठगाँठ और मिलीभगत करने वाले अधिकारी कर्मचारी का ट्रांसफर हो गया और नए अधिकारी कर्मचारी से बात बैठाने में देर कर दी बिल्डर्स ने?
इसीलिए 474 व 475 को सीज कर दिया गया और अब खोलने के लिए निगम अधिकारी सहित बिल्डर एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं
प्लॉट नंबर 476,बीस दुकान आदर्शनगर ज़ीरोसेट बैक, अवैध कमर्शियल निर्माण,बिना निगम परमिशन के ज़ीरो सेट बैक,अवैध शोरूम्स,अवैध बैसमेंट्स, अवैध पेंट हाउस को सीज नहीं किया गया।।
बिल्डर,लाइजनर जुगाड़ी शातिर विनोद पारवानी की प्लॉट न. 476 की बिल्डिंग पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती यहाँ तक कि नोटिस भी जारी नहीं होता आख़िर क्यों?अब तक विनोद पारवानी के 15 से ज़्यादा जेवी और ख़ुद के प्रोजेक्ट निरन्तर चल रहे हैं और सभी अवैध हैं लेकिन एक पर भी कार्यवाही नहीं हुई है।
करोड़ों का राजस्व माफ़ करके रिश्वत का कुछ करोड़ अपनी ज़ेब में भरते ये अधिकारी कर्मचारी निगम की साख में दीमक का काम करते हैं और निगम का जुमला होता है कि निगम का ख़ज़ाना खाली है जबकि निगम के पास कई प्रकार के शुल्कों को वसूलने के पावर है कि निगम सोने की चिड़िया बन सकता है लेकिन राजस्व की चोरी करते ये डीएलबी और निगम के अधिकारी इसे नंगा भूखा ही बनाये रखते हैं।




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