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ख़बर-बेख़बर : डीएलबी में ले-देकर प्लॉट न. 474-475 आदर्शनगर की सीजर खोलने का खेल हो रहा शुरू

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ख़बर-बेख़बर : डीएलबी में ले-देकर प्लॉट न. 474-475 आदर्शनगर की सीजर खोलने का खेल हो रहा शुरू

हिलव्यू समाचार की खबर पर चार दिन पूर्व आदर्शनगर जोन नगर निगम ने की थी नोटिस के बाद सीजर की कार्यवाही

सीजर की अवधि होती है 180 दिन जिसमें बिल्डिंग बायलॉज के नियमानुसार अवैध निर्माण हटाना,निगम स्वीकृति लेना,पेनल्टी राशि डीएलबी में जमा करवाना व अन्य कई लीगल कार्यवाहियाँ पूर्ण करनी होती है*

लेकिन अधिकारी की हथेली में नोटों की गड्डियाँ रखकर हथेली में सरसों उगाने का काम होता है पूरे खुलम खुल्ला भ्रष्टाचार के साथ और 5-7 दिन में सीजर खुल जाती है बिना अवैध निर्माण हटाये झूठा शपथ पत्र देकर

अब करोड़ों के नुक़सान को बचाने के लिए कुछ करोड़ होंगे इधर उधर या यूँ कहें कि हो ही गए समझो

शालिनी श्रीवास्तव/कुलदीप गुप्ता
जयपुर हिलव्यू समाचार।
आदर्शनगर प्लॉट नंबर 474-475 को अवैध कमर्शियल 8-10 बड़े-बड़े शोरूम्स का निर्माण,अवैध बैसमेंट्स और अवैध पेंटहाउस और ज़ीरो सेटबैक के कारण सीज कर दिया गया लेकिन अब बिल्डर निगम और डीएलबी से मिलीभगत कर,साँठगाँठ कर पैसों की बारिश कर सीजर खुलवाने की तैयारी में जुट गए हैं।
सिद्धार्थ बिल्डकॉम की ज़ीरो सेटबैक,पर करोड़ों के कमर्शियल निर्माणाधीन बहुमंज़िला बिल्डिंग को सीज़ किया गया । जो सीजर बहुत पहले कर देना चाहिए था वो सीजर बहुत लंबे समय बाद किया गया हिलव्यू समाचार ने की थी ख़बर वायरल और लिखित में निगम को की थी शिकायत।…खैर देर आये पर दुरुस्त आये।
ख़बर मात्र इतनी ही नहीं है बल्कि सूत्रों से पता चला है कि सिद्धार्थ बिल्डकॉम अपने पैसे और रसूख के दम पर डीएलबी यानी स्वायत्त शासन विभाग के आला अफसरों से सीज़ बिल्डिंग को खुलवाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है। हथकंडे सारे अपना रहा है जो भी फिट बैठ जाये।
रेजिडेंशियल में इतनी बड़ी बहुमंजिला इमारत का निर्माण कर तो प्राथमिकी स्तर पर ही बहुत बडी ग़लती है पर उसके बाद यह बिल्डिंग कॉमर्शियल उद्देश्य से भी बनाई गई है यानी चोरी नहीं बल्कि डकैती है ये निगम के राजस्व की।
डीएलबी में झूठे शपथ पत्र देकर सीज़र बिल्डिंग को खुलवा लिया जाता है और अवैध निर्माण वापस से शुरू हो जाता है जबकि झूठा शपथ पत्र देना अपने आप में एक अपराध है और इस अपराध पर स्वयं नगर निगम कोई ध्यान नहीं देता है जबकि वास्तविकता में इसकी जिम्मेदारी डी एल बी के साथ साथ नगर निगम की भी होती है की अमुक निर्माणकर्ता ने अवैध हिस्से को तोड़ा है या नहीं और जो शपथ पत्र पेश किया है उसकी वास्तविकता धरातल स्तर पर क्या है और क्या नहीं ??
आदर्श नगर निगम के उपायुक्त युगांतर शर्मा को इस विषय पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है कि आम जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जाए कि सरकारी राजस्व की चोरी को किसी भी तरह से सहन नहीं किया जायेगा।
अगर यह अवैध बहुमंज़िला बिल्डिंग की सील बिना अवैध निर्माण ध्वस्त किये खुल जाती है तो समझ लीजियेगा कि डीएलबी और निगम के उच्च अधिकारियों का ईमान 474-475 के मालिक ने कौड़ियों के दाम में खरीद लिया है सरकारी सिस्टम को इनकी भ्रष्टता के पैरों तले कुचल दिया गया है।




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