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तक्षक का रक्षक कौन?राजस्थान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलसचिव (रजिस्ट्रार) नीलिमा तक्षक बनी अतिक्रमणकारी

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तक्षक का रक्षक कौन?राजस्थान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलसचिव (रजिस्ट्रार) नीलिमा तक्षक बनी अतिक्रमणकारी

राजस्थान विश्वविद्यालय में पहली महिला रजिस्ट्रार रही हैं नीलिमा तक्षक का 20 जुलाई 2023 को अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (न्याय) जयपुर सेकंड के पद तबादला हो गया मगर यूनिवर्सिटी कैम्पस में आज भी कब्ज़ा किये हुए हैं जबकि 1 माह ग्रेस पीरियड टाइम  अगस्त 2023 में ही हो गया है पूर्ण।

राजस्थान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार बंगले पर तक्षक का कब्ज़ा आज 6 माह तक भी क्यों है काबिज़?

कुलपति अल्पना कटेजा द्वारा मुख्य सचिव सुधांशु पंत  को 10 फरवरी 2024 को नीलिमा तक्षक के इस अनाधिकार अनैतिक कृत्य के बारे में सूचित किया जा चुका मगर 16 दिन बीतने पर भी कोई समाधान अब तक नहीं निकाला गया है क्यों?

एक बड़ा प्रश्न बड़ा प्रश्न मीडिया से कि यूँ तो हर बड़ी प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार रैन बसेरे की तरह सभी विभागों में बीट वाइज़ पड़े रहते हैं और उन विभागों में होने वाली छोटी से छोटी  हलचल या किसी भी सनसनीखेज ख़बर को लाकर मुख्य पृष्ठ या  ब्रेकिंग न्यूज़ बना देते हैं लेकिन आज तक राजस्थान विश्वविद्यालय की इतनी बड़ी खबर को किस तरह से पचा गए एज्युकेशन बीट पत्रकार?

आख़िर मीडिया 21 वीं सदी में कहाँ गुम हो गयी है?

क्या चरणदास और शरणदास बनकर रह गयी है मीडिया?

रक्षक की जगह भक्षक का रोल क्यों निभाने की होड़ में है पत्रकारिता?

क्या कर रही है आज की मीडिया यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है?

पूर्व  रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक के बंगला अतिक्रमण की ख़बर से क्यों बेख़बर रही बड़ी से बड़ी मीडिया?

हालांकि वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल अपने लिए मुख्यमंत्री आवास खाली नहीं करवा पाए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से तो नीलिमा तक्षक का बंगला भक्षक बने रहना आश्चर्य का विषय नहीं है

राज्यपाल कालराज मिश्र की इन विषयों में ख़ामोशी बड़ा आश्चर्य प्रकट करने योग्य बात है

मुख्य सचिव सुधांशु पन्त की 16 दिन तक चुप्पी बड़े प्रश्न खड़े करती है

शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।
राजस्थान विश्वविद्यालय की पहली कुलसचिव यानी रजिस्ट्रार 02 वर्ष पूर्व नीलिमा तक्षक बनीं और अभी गत वर्ष 20 जुलाई 2023 को उनका ट्रांसफर हो गया।
ट्रांसफर के साथ वह बंगले को खाली नहीं कर पाई और आज तक बंगला खाली भी नहीं किया जो कि अपने आप में एक बड़ी खबर है लेकिन मीडिया ख़ामोश और चुप्पी साधे रहा क्यों?
यह तो एक ऐसे अवैध अतिक्रमण की खबर है जो कि एक सरकारी अधिकारी ने सरकारी बंगले पर किया हुआ है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर अल्पना कटेजा अंतिम नोटिस भी थमा चुकीं लेकिन टस से मस नहीं हुईं हैं नीलिमा तक्षक और बन गयी हैं भक्षक सार्वजनिक अधिकारों की
20 जुलाई 2023 को अतिरिक्त जिला कलेक्टर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट न्याय जयपुर सेकंड के पद पर तबादला होने के बावजूद आज तक बंगला खाली नहीं किया गया और जनवरी माह में भी आवास खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया था जो कि अंतिम नोटिस था साथ ही किराया भत्ता कटौती की बकाया राशि विश्वविद्यालयकोष में जमा करने के लिए भी आदेशित पत्र था इसके अतिरिक्त सबसे गौर करने वाली बात यह है कि विश्वविद्यालय की कुलपति की ओर से निर्धारित बंगले को खाली करने के लिए मुख्य सचिव सुधांशु पंत को 10 फरवरी को पत्र लिख दिया गया लेकिन 15 दिन बीत जाने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।विश्विद्यालय प्रशासन की ओर से  चार-चार नोटिस देने के बावजूद यूनिवर्सिटी की पूर्व रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक ने  बंगला खाली नहीं किया।

और इतनी बड़ी  खबर को बड़े से बड़ा मीडिया पचा गया क्यों और कैसे?

मीडिया के गिरते हुए नैतिक पतन का स्तर दर्शाता है कि एजुकेशन बीट देने वाले किसी भी प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार की नज़र इस तरह की खबर पर आज तक क्यों नहीं पड़ी?

हालांकि  सबसे बड़ी देखने वाली बात यह है कि एक जागरूक पत्रकार ने जब सोशल मीडिया फेसबुक और व्हाट्सएप प्लेटफॉर्म पर जब इस खबर को वायरल किया तब राजस्थान के सो कॉल्ड प्रतिष्ठित अखबार ने कल के चौथे या पांचवें पेज पर इस खबर को डाला।

यह बड़ी ही शर्मनाक बात है कि मीडिया जो कि संविधान का चौथा स्तंभ कहा जाता है वह इस तरह की खबरों को क्यों पचा जाता है जो कि सार्वजनिक नहीं होती मगर महत्वपूर्ण होतीं है किंतु यदि वह गुप्त ख़बर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाये या जिसकी FIR या कुछ अंश लीक होकर सार्वजनिक हो जाये किसी माध्यम से तो मज़बूरीवश उसे कवर करना पड़ता है विभागों में पड़े सो कॉल्ड बड़े पत्रकारों को
इस तरह सोशल मीडिया पर होने वाली वायरल खबरों को उठाकर अपना मुख्य पृष्ठ बनाने वाले या ब्रेकिंग न्यूज़ बनाने वाले  बड़े-बड़े मीडिया हाउस इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हाउस अपने अस्तित्व को कितना बौना करते जा रहे  हैं?
यह बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सनसनीखेज खबरें आज की तारीख में किसी भी मीडिया हाउस और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक चैनल या किसी भी प्रिंट चैनल की खबर नहीं बन पाती है आखिर क्यों पत्रकारिता का स्तर इतना क्यों गिरता जा रहा है कि जब तक कोई खबर किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक रूप से प्रसारित नहीं हो जाती या न्यायालय के माध्यम से फिर दर्ज नहीं हो जाती और वह फिर वह सार्वजनिक नहीं हो जाती तब तक कोई भी सो कॉल्ड  मीडिया हाउस उसे कवर पर  नहीं करता। बड़े मीडिया हाउस को विभागीय बीट के पत्रकारों और पत्रकारों को अपने मीडिया हाउस में आजकल शायद सामंजस्य नहीं मिलता इसीलिए ख़ास ख़बरें अंधेरे में दम तोड़ रही हैं
कि नीलिमा तक्षक आखिर सरकारी बंगले की भक्षक क्यों बन पाई क्योंकि मीडिया ने इस खबर को तूल नहीं दिया इस तरह से कई सारी चीज हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज की तारीख 3-4  माह में मुख्यमंत्री आवास पर कब्जा करके बैठे हैं और वर्तमान मुख्यमंत्री ओटीएस में रैन बसेरे के आवास की तरह रह रहे हैं। यह डूब मरने वाले मसले हैं शासन-प्रशासन और संविधान के चौथे स्तम्भ मीडिया के लिए।




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