मामा शकुनि का क़िरदार निभा रहे भाजपा नेता रवि नैय्यर
भाजपा के हारे हुए प्रत्याशी रवि नैय्यर मामा के सो कॉल्ड भांजे बनकर बिल्डर दिव्या तनेजा नगर निगम और आयकर विभाग को लगा रहे हैं चूना
मुख्यमंत्री भजनलाल के इर्द-गिर्द मंडरा कर रवि नैय्यर जमा रहे प्रभाव बिल्डर और व्यापारियों पर और बना रहे दबाव नगर निगम,जेडीए,हाउसिंग बोर्ड जैसी सरकारी कार्यालयों पर कार्यवाही न करने का। रामगली न.06 प्लॉट 59 रवि नैय्यर के समधी बनकर सड़क पर मटेरियल फैला रहे,ज़ीरो सेटबैक पर आवासीय में कमर्शियल अवैध निर्माण करवा रहे हैं।
इसी तर्ज पर बिल्डर दिव्य तनेजा सॉ कॉल्ड भांजा बनकर सॉ कॉल्ड मामा रवि नैयर के नाम से प्रभाव जमाता है और दवाब बनाता है नगर निगम जोनों में और मुख्यालय नगर निगम में।
राम गली न. 03 प्लॉट न.157 और तनेजा ब्लॉक प्लॉट न. 84, आदर्शनगर,रामगली न.07 प्लॉट न. 65 ,D-18 बापू नगर और कई अवैध प्रोजेक्ट हैं दिव्या तनेजा के
यह सरासर सरकारी रेवेन्यू और इनकम टैक्स की चोरी है
बिल्डिंग बायलॉज के नियमों का मज़ाक बनवा रहे बीजेपी के हारे हुए प्रत्याशी रवि नैय्यर
मुख्यमंत्री भजनलाल और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी वित्त मंत्री को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि सरकारी रेवेन्यू पार्षदों,क्षेत्रीय नेताओं,निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब में न जाकर सरकारी विभागों में ही जाए
सबसे बड़ी बात बीजेपी के हारे हुए प्रत्याशी को विधायक कहना या उसका विधायक कहलवाना लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है क्योंकि जनमत ही लोकतंत्र का आधार है और जनमत ने रवि नैय्यर को विधायक नहीं चुना है ऐसे में आप भाजपा प्रत्याशी हैं मगर हारे हुए न कि विधायक भाजपा हैं
बिना निगम की परमिशन के,बिना भूमि रूपांतरण एवं भूमि पुनर्गठन के ज़ीरो सेट बैक पर बिल्डिंग बना रहे बिल्डर इन नेताओं के प्रभाव में।
शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार। आदर्शनगर -मालवीयनगर विधानसभा क्षेत्र में सैकड़ों अवैध निर्माण चल रहे हैं। बिना निगम अनुमति के,ज़ीरो सेटबैक पर,बिना भू-रूपांतरण,बिना प्लॉट पुनर्गठन धड़ल्ले से काम चल रहे हैं। क्या निगम की नाक के नीचे यह सम्भव है नहीं नगर निगम के उपायुक्त, आरओ,निर्माण शाखा जेईएन,एईएन सबको सेट करते हैं बिल्डर उसके बाद यह गैंग मिलकर चूना लगाती है सरकार को राजस्व का और आयकर विभाग को आय गुप्त रखकर क्योंकि 25 लाख का प्लॉट बहुमंज़िला बनकर 25 करोड़ में बदल जाता है क्योंकि 12 से 18 फ्लैट होते हैं एक बिल्डिंग में और एक फ्लैट की क़ीमत 50 लाख से एक करोड़ बल्कि इससे ऊपर भी होती है। इसके बाद पार्किंग, बेसमेंट, पेंट हाउस की क़ीमत अलग होती है। कुल मिलाकर 25 से 30 करोड़ की कमाई करने वाले बिल्डर आयकर विभाग से अपने लाभांश को तो छुपाते ही हैं बल्कि राजस्व को भी चूना लगाते हैं।
और फिर नगर निगम जैसे सरकार के मरे हुए विभाग हर वक़्त ख़ज़ाना खाली होने की दुहाई देते नज़र आते हैं।
अगर acb के छापे इन निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के यहाँ पड़े तो नगर निगम की लूटी हुई आय इनके घरों से नकद बरामद हो सकती है।