किशनपोल जोन नगर निगम जयपुर सड़ांध,गन्दगी और कचरे का ढेर में
स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान बना एक मज़ाक
प्रधानमंत्री मोदी की स्वच्छता नीति की धज्जियाँ उड़ा रहा किशनपोल जोन
गन्दगी और सड़ांध भरे लेडीज़-जेंट्स टॉयलेट्स
और सड़े-गले बैनरों के ढेर में पनप रहे कीटाणु-जीवाणु
शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर हिलव्यू समाचार।
किशनपोल जोन नगर निगम हैरिटेज वाकई धरती पर नरक का नाम है।
सड़ी-गली सीढियाँ पीक से भरी हुईं होने के साथ-साथ इसके टॉयलेट्स तो नर्क प्रतियोगिता में अवार्ड के हक़दार हैं।
आचार संहिता में हटे बैनरों का सड़ा-गला ढेर आसपास के वातावरण को दूषित कर रहा है।
आश्चर्य है कि किशनपोल जोन में कार्यरत उपायुक्त और अन्य कर्मचारियों को यह सब कैसे बर्दाश्त हो रहा है या यूँ कहें कि भ्रष्टाचार की बदबू में रंगे-रचे-बसे होने के कारण उन्हें नोटों की खुशबू के अलावा कोई गन्ध ही नहीं आती चाहें वो दुर्गंध ही क्यों न हो……सीढ़ी से ऊपर चढ़ते ही टॉयलेट्स खुले दरवाज़े आपका स्वागत करते हैं। खुला हुआ नल और बहता हुआ जल खाली और सुनसान पड़े किशनपोल जोन में ध्वनि पैदा करता है। सुनसान इसीलिये कि उपायुक्त कौशल कुमार यहाँ विराजमान ही नहीं होते मुख्यालय में गैराज के चार्ज के अतिरिक्त यह जोन उपायुक्त का चार्ज उन्हें दिया गया है इसीलिये नदारद रहते हैं और किशनपोल जोन लावारिस औलाद की तरह कचरे,अवैध निर्माण और अतिक्रमण के ढेर में पड़ा है।
बड़े दुर्भाग्य की बात है यह किशनपोल जोन के पीड़ित और गुहार लेकर आने वाले क्षेत्रवासियों के लिए क्योंकि कोई संतोषप्रद जवाब उनको नहीं मिलता। झिड़क या फटकार कर भगा दिया जाता है।
किशनपोल जोन उपायुक्त कौशल कुमार और ज़िम्मेदार पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली इन टॉयलेट्स और गन्दगी से आसानी से समझी जा सकती है।
भारतीय जनता पार्टी के लिए गहलोत सरकार हर तरह की चुनौती छोड़कर गयी है चाहे वो गंदगी की सड़ांध हो या भ्रष्टाचार की बदबू। अतिक्रमण की अति हो या अवैध निर्माण का बोलबाला।