चलती-फिरती ग़म और ख़ुशी की तारीख़ों का नाम है लाजपतराय अंकल
युवा पीढ़ी के लिए एक सशक्त सन्देश हैं लाजपतराय अंकल
82 वर्ष की आयु में भी पूरे जयपुर क्षेत्र में पैदल-पैदल चलकर बेचते हैं कैलेंडर
15 साल की उम्र से पैदल चल रहा हूँ कभी कभी साइकिल का प्रयोग किया है – लाजपतराय
कुलदीप गुप्ता
जयपुर हिलव्यू समाचार।
जहाँ एक तरफ़ युवा पीढ़ी सौ मीटर की दूरी तय करने के लिये मोटरसाइकिल या कार लेकर जाती है और उन्हें जागने के साथ ही बेड टी चाहिए होती है वहीं 82 वर्ष की उम्र के बुर्ज़ुग लाजपतराय अंकल पैदल-पैदल चलकर कैलेंडर बेच रहे हैं लगभग 15 साल की उम्र से लेकर आज तक । कैलेंडर बेचते हुए लगभग आधे से ज़्यादा जयपुर नाप चुके हैं लाजपतराय अंकल।
बहुत बार माँ बाप अपने दर्द को बयां नहीं करते हैं पर आँखों से दर्द छलक ही जाता है।
बात करते वक्त उन्होंने बताया कि घर में किसी भी तरह की कोई दिक़्क़त नहीं है बस घुटने चलते रहें इसीलिये यह काम करता हूँ लेकिन कहते हुए उनकी आँखें भर आईं हमने कोशिश भी की कि वे अपना दर्द हमसे बाँटें लेकिन वो बार-बार वही बात दोहराते रहे कि घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए चलता हूँ। हालांकि जल्द ही हम उनसे मिलने उनके घर जाएंगे और उनके परिवार से भी मिलेंगे!