भूमाफ़िया गणेशराज बंसल हनुमानगढ़ के लिए बना भस्मासुर
भस्मासुर बनकर कर रहा भस्म हनुमानगढ़ की जनता के सपने
गणेशराज बंसल एवं उसकी पत्नी के आपराधिक रिकॉर्ड भी ढेरों हैं।कई अनगिनत आपराधिक मामले हैं दर्ज दोनों के नाम
हनुमानगढ़ नगर परिषद के सभापति गणेश राज बंसल द्वारा विकास के नाम पर हो रही धोखाधड़ी और गुंडागर्दी
कई सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़े और राजस्व का दुरुपयोग करने में लगे हैं गणेशराज बंसल
बीकानेर की बिनानी बिल्डिंग के साथ सरकार की करोड़ों की संपत्ति पर कब्ज़ा करके बनाई है सैकड़ों अवैध दुकानें।
शालिनी श्रीवास्तव
जयपुर, हिलव्यू समाचार
हनुमानगढ नगर परिषद के सभापति गणेशराज बंसल जो स्वयं को विकास दूत कहते भी है और कहलवाना भी पसंद करते है ने विकास के नाम पर यहाँ की स्थानीय जनता को सिर्फ़ मूर्ख बनाने का कार्य किया है । सेंट्रल पार्क, भारत माता चौक, भगतसिंह चौक का पुनर्निर्माण सड़क के किनारे डिवाइडर बनाकर लाइटें लगाकर चार सौ करोड़ रुपये खर्च कर विकास करने का जो दावा किया गया है वो सब बेनामी हो गया है । न विकास हुआ न सरकारी का पैसे का सदुपयोग हुआ।
गणेशराज बंसल के कार्यकाल में हुई सड़को / डिवाईडरो का निर्माण और उन्ही सड़को एवं डिवाईडरों का टूटना फिर उन पर पेच वर्क कर ठीक करने के नाम पर लीपापोती करने का काम अनवरत जारी रहता है यानी एक तरफ निर्माण कार्य दिखाना और दूसरी तरफ सरकारी ख़ज़ाने को खाली कर स्वयं की जेब को भरने का विकास जारी है।
राजा की कोठी जगह पर भी पार्क बना डाला और पार्क के निर्माण एवं विकास के नाम पर स्थानीय जनता को न रोजगार मिला और न कोई आराम मिला। हनुमानगढ़ को कभी चंडीगढ़ तो कभी सिंगापुर बनाने का दावा करने वाले गणेशराज बंसल ने हनुमानगढ को गंदगी और कचरे का शहर बना कर रख दिया है। ज़रा सी बारिश होते ही सारी नालियाँ ओवर फ्लो हो जाती है। शहर का ड्रैनेज सिस्टम एकदम बर्बाद हुआ पड़ा है जिसकी वजह के सीवरेज लाइन्स का पानी सड़को पर बहने लगे जाता है और चारों तरफ़ सिर्फ़ बदबू ही बदबू का आलम हो जाता है वही।दूसरी तरफ सतीपुरा में बनने वाले मेडिकल कॉलेज को नवां बाईपास के पास बना कर वहाँ की जमीनों की कीमत ऊँची करवा कर मरीज़ो को तो राहत नहीं दिलवाई पर स्वयं के लिए मोटी काली कमाई का इंतज़ाम कर लिया। गणेशराज बंसल के द्वारा किये जा रहे इन काले कारनामों में वहाँ के पार्षद , अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल है जिसकी वजह से आम नागरिक परेशानी का सामना तो कर ही रहे है और हनुमानगढ़ अपनी बर्बादी पर अंदर ही अंदर रो रहा है।