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कन्हैयालाल पंजाबी को मिला इंसाफ डीएलबी के भ्रष्ट अधिकारियों को मुँहतोड़ दिया जवाब सूचनाओं के बदले 10 लाख की माँगी थी रिश्वत

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कन्हैयालाल पंजाबी को मिला इंसाफ डीएलबी के भ्रष्ट अधिकारियों को मुँहतोड़ दिया जवाब सूचनाओं के बदले 10 लाख की माँगी थी रिश्वत

हिलव्यू समाचार ने दिलाया इंसाफ़, हौंसलें हों बुलंद तो क़ामयाबी मिलती ही है!

डीएलबी शरद तिवारी विजलेंस अफसर के दस लाख की रिश्वत माँगने से आहत थे कन्हैयालाल पंजाबी

सूचना के अधिकार के लिए सीनियर सिटीजन कन्हैयालाल पंजाबी लगा रहे थे 5 साल से सांचौर नगरपालिका से जयपुर डीएलबी के बीच लगा रहे थे चक्कर

सीनियर सिटीजन कन्हैयालाल पंजाबी की फर्मों पर फ़र्ज़ी तरीक़े से उठाए गए हैं टेंडर

अजमेर की चन्द्र/चन्द्रा इलेक्ट्रिक और चतुर इलेक्ट्रिकल्स ने सांचौर नगरपालिका और डीएलबी के अधिकारियों के साथ किया है करोड़ों का फ़र्ज़ीवाड़ा और फ़र्ज़ी उठाये हैं टेंडर सीनियर सिटीजन के.एल.पंजाबी की फर्म के नाम से

फर्ज़ीवाड़ा प्रमाणित करने के लिए के.एल.पंजाबी ने 2019 में किया था आवेदन जिस पर उन्हें कटवाये जा रहे थे चक्कर

डीएलबी में असिस्टेंट डायरेक्टर (सतर्कता) शरद तिवाड़ी ने गत दिवसों में माँगी सूचनाएँ देने के एवज में माँगी 10 लाख की रिश्वत और कहा “ऊपर वालों को भी सम्भालना पड़ता है”

मध्यमवर्गीय सीनियर सिटीजन के.एल.पंजाबी के थे खाली हाथ उन्होंने अधिकार की लड़ाई के लिए उठाया दानपत्र और डीएलबी के बाहर रिश्वत चुकाने के दान मांगने का बनाया मानस

सूचना के बदले डीएलबी असिस्टेंट डायरेक्टर शरद तिवारी पर 10 लाख की रिश्वत माँगने का आरोप लगाया रहे पंजाबी।

इस सारे घटनाक्रम में हिलव्यू समाचार ने उठायी आवाज़ और सीनियर सिटीजन के.एल.पंजाबी को किया सहयोग हक़ की लड़ाई में

लगातार हिलव्यू समाचार की ख़बर वाइरल हुई और हिलव्यू समाचार की ख़बर का हुआ असर।

भ्रष्टता में लिप्त डीएलबी का लगातार सुर्खियों में नाम आ रहा है लेकिन शासनिक और प्रशासनिक रूप से तार ऊपर तक जुड़े हैं यानी कुएँ में ही भाँग घुली है।
पीएमओ,सीएमओ,पूर्व डीजीपी एम,एल,लाठर,
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से तात्कालीन पूर्व महानिदेशक आलोक त्रिपाठी,बी.एल.सोनी,दिनेश एम.एन. अतिरिक्त महानिदेशक,असिस्टेंट डायरेक्टर शरद तिवाड़ी सतर्कता डीएलबी सभी जगह अपनी गुहार लगा चुके थे कन्हैयालाल पंजाबी लेकिन निराशा ही हाथ लगी थी इससे प्रशासन के पंगु स्थिति और भ्रष्टाचार के बड़े खेल को आसानी से समझा जा सकता है कि आम आदमी या तो चक्कर काटते काटते या तो सड़क पर मर जाता है या फाइलों में लेकिन इन भ्रष्ट अधिकारियों की मोटी चमड़ी और मरे हुए मन में कोई हलचल नहीं होती कोई ग्लानि नहीं भरती ख़ुद के लिए।




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