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जेडीए के प्रवर्तन अधिकारी है मौन और स्थानीय पार्षद बने हुए तमाशबीन

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जेडीए का जोन पीआरएन साउथ भी लिख रहा है अवैध निर्माणों की कहानी


ज़ीरो सेट बैक पर आवासीय कॉलोनियों में हो रहा धड़ल्ले से कॉमर्शियल निर्माण

न ग्रीन फ़ाइल का अप्रूवल और न बिल्डिंग बायलॉज के नियमों की अनुपालना

शालिनी श्रीवास्तव /हिलव्यू समाचार जयपुर ।
भूखण्ड संख्या 108 से लेकर 112 और 123 से लेकर 127 तक ,गणेश नगर बी, मैसर्स स्टूडियो रियल्टी वन के नाम से आवासीय कॉलोनी में बन रही कॉमर्शियल बिल्डिंग,
बिल्डिंग बायलॉज के नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए सीना ताने खड़ी यह बिल्डिंग जेडीए के प्रशासन को कटघरे में खड़ा करती है।
कहने को जयपुर विकास प्राधिकरण से नक्शा अनुमोदित का बोर्ड लगा रखा है पर इस अनुमोदित नक़्शे की वास्तविकता कितने खरी और सच्ची है यह जाँच का विषय है क्योंकि सेटबैक की अपूर्णता इसमें प्रत्यक्षतः दिख रही है। अवैध निर्माण करने का इतना हौसला इन बिल्डर्स में कहाँ से आता है ये सोचने का विषय है?
एक तरफ़ बिल्डिंग बायलॉज के नियमों का खुले आम मज़ाक बन रहा है और उसके ऊपर से इनकम टैक्स, राजस्व विभाग को भी चूना लगाया जा रहा है।
मोटी काली कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा ये बिल्डर डकार जाते हैं जिसकी ख़बर किसी को भी नहीं होती।
हालांकि बिना शासन-प्रशासन की मिलीभगत के गगनचुंबी इमारतों का निर्माण इतने अवैध तरीके से सम्भव ही नहीं है।
स्थानीय विधायक और पार्षद अपने वोट बैंक की ख़ातिर एकदम चुप्पी साधे बैठे होते हैं या अपना हिस्सा लेकर मस्त हो जाते हैं क्योंकि यह समझ नहीं आता है कि विधायक और पार्षद इतने गम्भीर मुद्दे पर आवाज़ क्यो नहीं उठाते हैं और किस वजह से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं देते है? क्या वजह होती है इनके ख़ामोश रहने की।




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