राजस्थान कांग्रेस के लिए विभीषण बने राजेन्द्र गुढ़ा
क्या राजेन्द्र गुढ़ा बनेंगे गहलोत सरकार के ख़िलाफ़ आधुनिक विभीषण और भेद सकेंगे सारे राज़ गहलोत सरकार के मंत्रियों के?
मणिपुर सहित भारत की महिलाओं की इज़्ज़त की रक्षा के लिए यौद्धा बनकर विधानसभा रण में उतरे राजेन्द्र गुढ़ा को मंत्री मण्डल से बर्खास्त अवश्य कर दिया गया किंतु लाखों महिलाओं के हृदय पर राज करने वाले नेता बन गए राजेन्द्र गुढ़ा
दिखने लगा है गहलोत से दुश्मनी का असर
गोविंदगढ़ स्थित अस्पताल और जमीन कब्ज़ाने में जांच के दौरान राजेन्द्र गुढ़ा का नाम आया सामने ,नाम आने के बाद पुलिस ने फाइल को गत सप्ताह ही सीआईडी में भेजने का लिया गया निर्णय ,आईजी जयपुर रेंज के यहाँ से फाइल पहुँची है कुछ दिन पहले ही सीआईडी में
गहलोत के प्रिय और ख़ास मंत्री महेश जोशी ने गुढ़ा पर मानहानि का दावा ठोकने का किया एलान
गुढ़ा के करीबी कहे जाने वाले और समर्थक झुंझुनू जिले की उदयपुरवाटी रामनिवास सैनी भी नगरपालिका चेयरमैन पद से निलंबित और सदस्यता से बाहर
शालिनी श्रीवास्तव / जयपुर
महाभारत के अभिमन्यु की तरह लाल डायरी के मामले में विधानसभा में गहलोत सरकार के मन्त्रिमण्डल के चक्रव्यूह के घेरे को तोड़कर राजेन्द्र गुढ़ा बाहर तो आ गए लेकिन अपना ब्रह्मास्त्र यानी लाल डायरी फिर वहीं लुटा आये।
रावण की नाभि का रहस्य विभीषण ने श्रीराम को बताया तो रावणराज का अंत हुआ लेकिन क्या यह आधुनिक विभीषण गुढ़ा गहलोत सरकार के अंत का कारण बन सकेंगे ? अगर बन गए तो युग पुरुष से नाम से नवाजे जा सकते हैं प्रदेश की जनता द्वारा!
लाल डायरी का रहस्य कुछ-कुछ मुँह ज़ुबानी बताने वाले राजेन्द्र गुढ़ा इतने सीधे तो नहीं कि इस लाल डायरी का मूल रूप ही लेकर घूम रहे होंगे चलो मान लेते हैं कि घूम भी रहे हों ऑरिजिनल डायरी लेकर तो कौन मानेगा कि इसकी प्रतियाँ प्रतिलिपि के रूप में इनके पास सुरक्षित नहीं होंगी।
लाल डायरी का रहस्य उजागर हो न हो लेकिन गुढ़ा का उज्ज्वल भविष्य ज़रूर उजागर हो गया है क्योंकि बग़ावत हमेशा ईमानदार और स्वाभिमानी लोग ही करते हैं बाक़ी लोग तो केवल और केवल तलवे चाटते हैं और ग़ुलामी वाली ज़िन्दगी जीते हैं।
लगभग पिछला वर्ष गहलोत सरकार के लिए शनि की साढ़े साती साबित हुआ है जिसमें सियासी शनि महाराज का क्रोध कभी पायलेट बनकर,कभी अशोक चांदना बनकर, तो कभी-कभी खाचरियावास बनकर और अब ज़्यादातर राजेन्द्र गुढ़ा बनकर गहलोत सरकार पर बरस रहा है। राजस्थान के सियासी गलियारों में सर्दी और बरसात के मौसम में भी भयंकर गरमा-गर्मी का अहसास पूरे साल बना रहा है और ऐसे में विपक्ष को इस गर्मी के गर्म तवे पर रोटी और गर्म भट्टी में भुट्टा सेंकने का आनंद प्राप्त हो रहा है
गहलोत मंत्रिमंडल से बर्खास्त, कांग्रेस से निष्कासित किए गए राजेंद्र गुढ़ा कभी अशोक गहलोत के बहुत क़रीबी नेता हुआ करते थे।आख़िर ऐसा क्या हुआ कि सीएम गहलोत के संकटमोचक और हनुमान जी की तरह पहाड़ी नहीं लेकिन सीबीआई के घेरे से लाल डायरी उड़ा ले आने वाले राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है?
राजस्थान के झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र, गुढ़ा गांव को राजेंद्र ने अपने नाम के साथ जोड़ लिया और इस तरह उनका नाम हो गया राजेंद्र गुढ़ा। राजेंद्र गुढ़ा 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए।राजेंद्र गुढ़ा उन नेताओं में शामिल नहीं थे जो 2020 में सचिन पायलट के साथ हरियाणा के मानेसर चले गए थे, तब भी सीएम गहलोत के साथ गुढ़ा डटकर खड़े थे
सीएम गहलोत और राजेंद्र गुढ़ा के बीच क्यों और कैसे दुश्मनी का बाँध बन्ध गया यह तो बाद में चर्चा होगी लेकिन दुश्मनी का असर दिखने लगा है कि – हाल ही में गोविंदगढ़ स्थित अस्पताल और जमीन कब्ज़ाने में जांच के दौरान राजेन्द्र गुढ़ा का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने फाइल को गत सप्ताह ही सीआईडी में भेजने का निर्णय किया।आईजी जयपुर रेंज के यहाँ से फाइल कुछ दिन पहले ही सीआईडी पहुंची है। इसी तरह गुढ़ा के करीबी कहे जाने वाले और समर्थक झुंझुनू जिले की उदयपुरवाटी नगरपालिका के चेयरमैन रामनिवास सैनी पर भी गाज गिरा दी गयी है उन्हें नगरपालिका चेयरमैन और सदस्य के पद से निलंबित कर दिया गया है।
इधर महेश जोशी गहलोत के प्रिय और ख़ास मंत्री महेश जोशी ने मानहानि का दावा गुढ़ा पर ठोकने का एलान कर दिया है।
इस वक्त गुढ़ा सियासी महाभारत के चक्रव्यूह में फंस गए हैं जहाँ गहलोत की कौरव सेना ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े महारथी दुर्योधन के रूप में स्वयं गहलोत,कर्ण के रूप में महेश जोशी और द्रोणाचार्य के रूप में धर्मन्द्र राठौड़ ने उन्हें घेर लिया है अब गुढ़ा की मेहनत और महत्वाकांक्षाओं का वध होगा या वो अवध यानी राजस्थान पर आगे भी राज करेंगे यह देखने वाली बात होगी।