आवासीय भूखण्ड में मनोज भाटिया के साथ कमल आसुदानी ने कमर्शियल दुकानें बनाकर किया करोड़ों का खेल
एक-एक दुकान बिक रहीं एक से सवा करोड़ में नगर निगम के साथ-साथ इनकमटैक्स विभाग को भी लग रहा चूना
हर आवासीय प्लॉट धारक जॉइंट वेंचर करके बना रहा है अवैध व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स जो बिक रहे करोड़ों में
शालिनी श्रीवास्तव / जयपुर हिलव्यू समाचार।
न कानून का डर और न नियमों की परवाह। मालवीयनगर जोन नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले आवासीय मकान में व्यवसायिक गतिविधियों का सिलसिला बड़े जोर शोर से चल रहा है।
राजापार्क की राम गली नम्बर 06 के आवासीय मकान C-59 में कमल आसुदानी और मनोज भाटिया दोनों ने मिलकर आवासीय प्लाट में कॉमर्शियल निर्माण कर 6 अवैध दुकान बनाई हैं और अब आवासीय में कॉमर्शियल निर्माण कर निगम को चूना लगाने की यह कवायद अपना ही सुर्ख रंग दिखा रही है।
जहाँ इस आवासीय भूखण्ड पर बनी एक-एक दुकान की क़ीमत सवा करोड़ रुपये है वहीं दूसरी ओर आवासीय में इस प्लॉट की क़ीमत मात्र 01 करोड़ थी ऐसे में छह दुकान बनते ही आवासीय प्लॉट की कीमत साइज़ अनुसार लगभग 7 करोड़ पहुँच गयी।
यह अवैध निर्माण बिल्डर्स की उस मंशा को दर्शाता है जहाँ ये बिल्डर्स बिल्डिंग बायलॉज के कानून से स्वयं को ऊपर मानते है और तो और 70% ब्लैक मनी लेकर 30% में डीएलसी रेट के अनुसार चेक लेकर रजिस्ट्री करवाते हैं। आख़िर इनकमटैक्स और ईडी की नज़र इन बहुमंज़िला बिल्डिंग्स या आवासीय में बने शोरूम्स पर क्यों नहीं जाती।
सरकार को लगातार रेवेन्यू का चूना लगाते ये अवैध निर्माण किस तरह फलफूल रहे हैं यह बड़ा गम्भीर विषय है।