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हिलव्यू समाचार द्वारा “द केरला स्टोरी” का निःशुल्क प्रदर्शन

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केवल लड़कियों एवं महिलाओं को दिखाई निःशुल्क फिल्म

पिंक स्क्वायर मॉल के आइनॉक्स सिनेमा में दिखाई फिल्म

पुरुष को पहला संस्कार देने वाली माँ भी तो एक महिला

माता-पिता की परवरिश पर अंगुली उठाती है यह फिल्म

बेटियों की आँखें खोलने के लिए हिलव्यू ने किया प्रयास

हिलव्यू ने दिमाग़ को सुदृढ करने की उठायी ज़िम्मेदारी

हमारे सामाजिक ढांचे में लवजेहाद जैसे विषाणु घुस आए

हिलव्यू समाचार का युवा लड़कीयों के लिए अनूठा संकल्प

हिलव्यू समाचार द्वारा 250 लड़कियों एवं महिलाओं के लिए निःशुल्क “द केरला स्टोरी” फ़िल्म का किया प्रदर्शन । 29 मई की सुबह नौ बजे पिंक स्क्वायर मॉल के आइनॉक्स सिनेमा हॉल में युवा लड़कियों और महिलाओं को दिखाई गयी “द केरला स्टोरी” ।

देश की सम्पत्ति, सभ्यता एवं मानवीय मूल्यों का संरक्षण हो सके इसकी जिम्मेदारी प्रत्येक आम नागरिक की होती है। जिसमें महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा होती है। पुरुष को पहला संस्कार देने वाली माँ भी तो एक महिला ही है । देश में चल रहे आजकल के सामाजिक माहोल में देश की बेटियों की आँखें खोलने और दिमाग़ को सुदृढ करने व पारिवारिक संस्कार व मूल्यों को अपने साथ लेकर चलने की सीख देने के उद्देश्य से ही हिलव्यू समाचार ने प्रदेश की महिलाओं व युवा लड़कीयों यह फिल्म दिखाने का संकल्प लिया है ।

हिलव्यू समाचार का यह मानना है की परम्परा,रीति रिवाज और सभ्यता एवं संस्कृति हमारी जीवन शैली के परिचय के साथ-साथ समाज के बौद्धिक स्तर को भी दर्शाते हैं जिनसे मिलकर ही एक उन्नत समाज और देश का निर्माण होता है । देश की युवा बेटियों की आँखें खोलने और उनके दिलों दिमाग़ में पारिवारिक संस्कार व जीवन मूल्यों एवं सनातन धर्म की जानकारियों को अपने साथ लेकर चलने की सीख देने के उद्देश्य से यह फ़िल्म देश की हर महिला व लड़की को देखनी चाहिए।

हिलव्यू समाचार संपादक शालिनी श्रीवास्तव एवं सह-संपादक कुलदीप गुप्ता द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का यह प्रथम चरण था जोकी युवा लड़कियों एवं महिला शक्तियों के साथ सफलतापूर्वक 29 मई को सम्पन्न हुआ ।

हालांकि यह फ़िल्म केवल बेटियों की ही ज़िम्मेदारीयां नहीं बताती बल्कि माता-पिता की परवरिश पर अंगुली उठती है साथ ही सामाजिक मूल्यों के पतन को लेकर उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर समाज को एक चेतावनी भी दे रही है । इसी के साथ ये फिल्म हमारे देश व सभी राज्यों की सरकारों और पुलिस प्रशासन के लिए भी यह फ़िल्म एक चुनौती है । क्योंकि हमारे सामाजिक ताने बाने में लवजेहाद जैसे विषाणु घुस आए हैं ।

इस मुहिम का यह प्रथम चरण के दौरान लगातार रजिस्ट्रेशन हुए और मात्र 5 दिन में ही लगभग 450 रजिस्ट्रेशन हो गए जिसमें हमारी प्राथमिकता के अनुसार सिर्फ 18 वर्ष की आयु सीमा के ऊपर की लड़कियों व महिलाओं का चयन किया गया। प्रथम चरण में 250 महिलाओं को फिल्म दिखाना तय किया गया । फ़िल्म के दौरान महिलाओं को रिफ्रेशमेंट भी दिया गया।

इस मिशन की सफलता में सह-संपादक हरीश श्रीवास्तव, समाजसेवी सुनील असीजा,फोटोग्राफर राजदीप सैनी,समाजसेवी राकेश आमजन,ईशान,सुमन सीकरी,सुनीता व आईनॉक्स के मैनेजर विशाल एवम उनकी टीम का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।




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