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जयपुर बाग़ पर लगा पंद्रह हजार का जुर्माना , साथ ही लौटाने पड़ेंगे एक लाख रुपये भी

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जयपुर बाग़ के मालिक को लौटानी होगी विवाह की अग्रीम जमा शेष एक लाख रुपये की राशि !
साथ ही भुगतान करेगा मानसिक संताप के दस हज़ार और परिवाद व्यय ख़र्च के पाँच हज़ार

हिलव्यू समाचार_शालिनी श्रीवास्तव की रिपोर्ट
एडवोकेट कमलेश कुमार शर्मा ने बताया कि कॉविड की दूसरी लहर के कारण लॉकडाउन के साथ-साथ सामाजिक उत्सवों व गतिविधियों पर रोक लगा दी गयी थी अतः बुकिंग केंसल हो गयी और  विवाह नहीं हुआ किन्तु जयपुर बाग़ मैरिज गार्डन के मालिक राशि देने को राजी नहीं थे। कुल राशि में से एक लाख रुपये रोक ली गयी अतःपरिवादी सुरेश नागर पुत्र पीसी नागर झोटवाड़ा निवासी ने होटल जयपुर बाग़ के मालिक वैभव गुप्ता एवं मैनेजर लक्ष्य अग्रवाल के विरुद्ध परिवाद लगवाया जो कि धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत पेश किया गया किन्तु विपक्षीगण की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ।  अतः मानसिक संताप की क्षति पूर्ति के साथ शेष राशि को भी वापसी करने के आदेश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय जयपुर  द्वारा दिये गए।


एडवोकेट कमलेश कुमार शर्मा


जानते है आखिर क्या था पूरा मामला
परिवादी सुरेश नागर ने जयपुर बाग़ वेडिंग गार्डन के 45 कॉटेज रूम एंड एक बैंक्वेट हॉल एवं लोन नंबर 3 अपनी बेटी के विवाह के समारोह के लिए 5 जून 2021 को एवं 6 जून 2021 के लिए बुक किया था जिसके लिए दो लाख पचास रूपये की अग्रिम राशि 16 मार्च व 18  मार्च 2021 को जमा कर दी गई । हालांकि इसको संपन्न होने वाले विवाह समारोह में लगने वाले कुल खर्चे को समायोजित किया जाना था। किन्तु कोविड-19 की महामारी की दूसरी लहर आने की वजह से केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार स्थानीय क्षेत्र में लॉकडाउन लगाया जाकर सभी तरह की गतिविधियाँ व सामाजिक समारोह बंद कर दिए गए जिसकी वजह से यह विवाह संभव नहीं हो पाया। इसके पश्चात बुक कराने वाले व्यक्ति  सुरेश नागर ने जयपुर बाग मैरिज गार्डन पर पूरी वापसी राशि के लिए बातचीत की लेकिन राशि नहीं लौटाई गई और  7 सितंबर 2021 को परिवादी सुरेश नागर को एक लाख पचास हज़ार की राशि जरिए चेक 9 सितंबर 2021 अंकित कर दी गयी। लेकिन एक लाख रुपये फिर भी न देने की मंशा से रोक लिए गए।

केंद्र सरकार व राज्य सरकार के आदेशों व निर्देशों के ख़िलाफ़ जाकर इस तरह की राशि रोकना अपने आप में एक अपराधिक कृत्य था जिसकी वजह से पीड़ित को मानसिक सन्ताप तो हुआ ही आर्थिक हानि की आशंका ने भी आ घेरा। पीड़ित ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय जयपुर में अपनी गुहार लगाई जिसके पीठासीन अधिकारी ग्यारसी लाल मीणा अध्यक्ष और श्रीचंद्र तेतरवाल सदस्य ने निर्णय सुनाते हुए फैसला दिया कि परिवादी गण को शेष एक लाख की  राशि लौटाई जाए और इसके अतिरिक्त 9% वार्षिक दर के हिसाब से ब्याज अदा किया जाए और परिवादी को मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के पेटे दस हज़ार रुपये और परिवाद व्यय के खर्चे के प्रति पाँच हज़ार रुपये भी अदा किए जाएँ। इस प्रकार यह फैसला दिया गया और आदेश किए की इन आदेशों की एक-एक प्रति परिवादी के अतिरिक्त विपक्षी गण को भी रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजी जाए और एक माह में विपक्षी गण यह राशि अदा करें।




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