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मरु कोकिला गवरी देवी:जन्मदिन पर विशेष

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सोने री धरती जठे चांदी रो आसमान
रंग रंगीलो रस भरयो म्हारो प्यारो राजस्थान ।।

जयपुर हिलव्यू समाचार । कुलदीप गुप्ता / राजस्थान राज्य जहाँ एक तरफ अपनी वीरता के लिए विश्व प्रसिद्ध रहा है तो वही दूसरी और अपनी लोककला सँस्कृति के साथ साथ अपनी गायन शैली के लिए भी प्रसिद्ध रहा है विशेष तौर से मांड गायन शैली के लिये।

वीरों की भूमि पर जन्म लेकर अपनी गायकी से राजस्थान राज्य का नाम विश्व पटल पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखने वाली गवरी देवी का जन्म 14 अप्रैल 1920 को हुआ था। गवरी देवी ने अपनी खनकदार आवाज़ से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांड गायकी का जादू बिखेर कर राज्य का नाम रोशन किया । गवरी देवी मांड गायकी के अलावा ठुमरी भजन और ग़ज़ल गायन भी करती थी। राजस्थान राज्य के अलावा उड़ीसा, कर्नाटक तमिलनाडु केरल एवं महाराष्ट्र राज्यों में भी अपनी मांड गायकी की प्रस्तुति दी। गवरी देवी ने रूस (मास्को) में आयोजित इण्डियन फेस्टिवल में अपनी गायिका का परचम लहरा कर समस्त देशवासियों का सर गर्व से ऊँचा कर दिया था ।

राजस्थानी लोक गायन में विशेष योगदान देने के लिए गवरी देवी को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया वही दूसरी और भारत सरकार द्वारा कांस्य पदक भी प्रदान किया गया। वर्ष 2013 में राजस्थान रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। अंतिम समय तक लोककला के संरक्षण और उसे जीवित रखने का भरसक प्रयास करने वाली राजस्थान की मरु कोकिला 29 जून 1988 को हमेशा के लिए अनन्त आकाश में विलीन हो गई ।

पर कहते है ना कि कलाकार कभी मरते नहीं वो सदैव यादों में जीवित रहते हैं। गवरी देवी को हिलव्यू समाचार परिवार की तरफ से जन्मदिन की शुभकामनाएं।




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