अवैध निर्माण और अतिक्रमण राजधानी की पहचान बन चुका है। आप किसी भी एरिया में चले जाएँ चाहे वो नगर निगम की कॉलोनी हो या जेडीए की सभी जगह अवैध निर्माण बड़ी आसानी से आपको देखने को मिल जाएंगे। नगर निगम हेरिटेज का कोई जोन हो या ग्रेटर नगर निगम का कोई जोन सब जगह मिलीभगत से बहुमंज़िला बिल्डिंग्स बिना स्वीकृति, ले-आउट प्लान,नक़्शे के बन रही हैं। ऐसे में बिना ये निर्माण निगम की अनुमति के होने के कारण फायर एनओसी, वॉटर हार्वेस्टिंग, पार्किंग आदि की अनुमति रह जाती हैं।
आम नागरिक यानी उपभोक्ता जो इन बहुमंज़िला बिल्डिंग्स में फ्लैट्स लेते हैं वो न अपने अधिकारों के प्रति सजग होते हैं न ही उन्हें अपने हितों व जीवन के साथ खेले गए इस खेल का आभास होता है वो घर लेकर ख़ुश हो जाते हैं लेकिन सुरक्षा के इंतजाम पर उनका ध्यान नहीं जाता। जब कोई आगजनी या दुर्घटना होती है तब उन्हें अहसास होता है कि अवैध तरीके से बनी इन बिल्डिंग्स फ्लैट्स लेकर वो कितने बड़े धोखे का शिकार हुए हैं।
नगर निगम और जेडीए का भ्रष्टाचार चारों ओर फैला हुआ है लेकिन न सरकार को परवाह है न ही प्रशासन में बैठे दिग्गज़ों को क्योंकि उनकी मासिक बंदी उन तक पहुँच रही है शहर को आग के हवाले कर सारा सरकारी व प्रशासनिक महकमा अपनी-अपनी भ्रष्टाचार की रोटी आम जनता के हितों के चूल्हे पर सेंक रहा है और आम जनता बेवकूफ़ बन तमाशा देख रही है।