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गांधी ने किया पराधीन राष्ट्रों के समक्ष आजादी का मार्ग प्रशस्त : हरि प्रसाद शर्मा

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जयपुर, हिलव्यू समाचार महात्मा गांधी इन्स्टीट्यूट ऑफ गवर्नेन्स एण्ड सोशल साइन्सेज, जयपुर में चलाए जा रहे प्रशिक्षण शिविरों की श्रृंखला में 16 वें गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष हरि प्रसाद शर्मा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी ने संवाद को अपनी राजनीति का प्रमुख आधार बनाकर राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन बनाया एवं दुनिया के पराधीन राष्ट्रों के समक्ष आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होनें यह कहा कि आज युवा पीढी को गांधी के विचारों को समझ कर उन्हे अपने व्यवहार का अंग बनाने के लिए आत्मसात करने की आवश्यकता है। गांधी मूल्य ही वह विरासत है जो व्यक्ति, समाज और राजनीति तीनों स्तरों पर आज भी प्रांसगिक है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए साहित्यकार प्रो. नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने कहा कि गांधी विचार के रूप में अमर है। गांधी विचार के साथ एक भाव भी है जो व्यक्ति की संवेदना को हदय के स्तर पर जागृत करता है। उन्होनें ‘गांधी एक बार फिर आओ’ गीत के द्वारा गांधी की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के शिक्षाविद् प्रो. एम.एल. बरेडा ने कहा कि युवा पीढी तक सही और प्रमाणिक जानकारी सही समय पर पंहुचाने का समय आ गया है। संस्थान के निदेशक प्रो. बी. एम. शर्मा ने मोहनदास से महात्मा बनने के चरण के रूप में उनके दक्षिण अफ्रीकी प्रवास को युगान्तरकारी माना। उन्होने कहा कि अन्याय की तीव्रता का जो प्रतिकार गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध के रूप में किया वही मानव समाज की समस्यों के लिए श्रेष्ठतम समाधान है। संस्थान के विशेषाधिकारी डॉ सौमित्र नाथ झा ने समापन के दौरान कहा कि आज विद्यालय स्तर पर भी विद्यार्थियों को गांधी मूल्यों का प्रशिक्षण सही तरीके से दिया जाये तो हम युवा पीढी में आक्रोश, आवेश और अवसाद को समाप्त करने की दिशा में पहल कर सकते है। कार्यक्रम का सुसंचालन डॉ विकास नौटियाल द्वारा किया गया।




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