गांधी चितंन का ही प्रतिफल है – ‘आनंदम’: गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर समाप्त
जयपुर, 5 फरवरी। महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ गवर्नेन्स एंड सोशल साइंसेज परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से प्रारंभ किया गया गांधीयन मुल्यों पर आधारित और उनके जीवन दर्शन पर एकाग्र राजस्थान के राजकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों का छह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर पूर्ण हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा सचिव श्रुति शर्मा ने कहा कि गांधी को समग्र रूप से समझना आज की अपरिहार्य एवं महत्ती आवश्यक्ता है। उन्होंने कहा कि गांधी मन, कर्म और वचन से ईमानदार तो थे ही, साथ ही साथ वे सम्पूर्ण राष्ट्र की अस्मिता भी थे। गांधी चिंतन और दर्शन के माध्यम से नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर दृष्टिकोणगत परिवर्तन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सर्वथा प्रासंगिक है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘आनंदम’ गांधी चितंन का ही प्रतिफलन है। प्रशिक्षण समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक प्रोफेसर बी एम शर्मा ने संस्थान के ’विजन’ एवं ’मिशन’ का उल्लेख कर संस्थान की उपलब्धियों से सभी आगंतुकों एवं प्रशिक्षणार्थियों को अवगत करवाया और कहा कि ऐसे प्रशिक्षण गांधीजी के विचारों को भावी पीढ़ी तक स्थानांतरित करने और प्रदेश और देश में सौहार्दपूर्ण वातावरण के निर्माण के साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों की अक्षुण्णता व अनुरक्षण के लिए आवश्यक प्रकल्प है। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता और विविधता हमारी पहचान है और मानवीय मूल्यों के साथ बेहतर समाज कैसे बने, हम सदैव इसके लिए प्रयत्नशील रहें। उन्होंने बताया कि संस्थान शिक्षण, प्रशिक्षण, ओरियंटेशन एवं उच्च स्तरीय शोधपरक इत्यादि कार्य संचालन की दिशा में सतत प्रयत्नशील है। प्रशिक्षण शिविर समापन कार्यक्रम के अंत में संस्थान के विशेषाधिकारी सौमित्र नाथ झा द्वारा सबका आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का सुसंचालन डॉ ज्योति अरुण द्वारा किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में गांधी संबंधी विविध विषय विशेषज्ञ डॉ. प्रोफेसर संजय लोढ़ा, प्रोफेसर संगीता शर्मा, डॉ विकास नौटियाल, डॉ कमल नयन , गांधीवादी विचारक सवाई सिंह, धर्मवीर कटेवा आदि के व्याख्यानों के साथ-साथ विविध रचनात्मक कार्य भी किए गए। समापन सत्र के आखिर में प्रशिक्षणार्थियों को अपना घर, भगवान महावीर विकलांग सहायता केंद्र, हरिजन बस्ती, गांधी म्यूजियम का भ्रमण करवाया गया ताकि गांधीजी के जीवन एवं उनके कृतित्व की समझ बेहतर ढंग से हो सके।