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आदर्शनगर उपायुक्त सुरेश राव नगर निगम हैरिटेज जयपुर से सीधे सवाल

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क्या अदालत में अपने हस्ताक्षर से पेश की गई झूठी रिपोर्ट पर स्वयं जाँच कमेटी बिठायेंगे आदर्शनगर उपायुक्त सुरेश राव नगर निगम हैरिटेज जयपुर

उपायुक्त सुरेश राव से सीधी बातचीत।

स्थानीय नागरिकों के विरोध और न्यायिक शरण में जाने के बाद गलतागेट गोवर्धनपुरी के अतिक्रमण में स्थगन आदेश हो गए थे लेकिन उपायुक्त सुरेश नागर आदर्शनगर जोन नगर निगम हैरिटेज द्वारा झूठी रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी गई कि-
◆ गलता गेट गोवर्धनपुरी में मौक़े पर कोई नव निर्माण नहीं हो रहा।
◆गलता गेट गोवर्धनपुरी में अन्यत्र राजकीय बालिका विद्यालय संचालित है।
◆साधु सियारामदास कनकबिहारी मंदिर में रंग-रोगन और मरम्मत करवा रहा है।
◆चूंकि कनक बिहारी मंदिर बहुत अधिक पुराना है अतः मरम्मत कार्य चल रहा है।
इस झूठी प्रशासनिक रिपोर्ट का परिणाम हुआ कि अतिक्रमणकारी साधु सियारामदास को वर्तमान अदालत ने निचली अदालत द्वारा दिए गए स्थगन आदेश ख़ारिज़ कर आंशिक रंग-रोगन,मरम्मत के आदेश दे दिए।

★  जबकि उपायुक्त सुरेश राव आदर्शनगर जोन  द्वारा उपरोक्त दिए गए सभी बयान झूठे व निराधार हैं।

आख़िर प्रशासनिक अधिकारी सुरेश राव ने झूठी रिपोर्ट से अदालत को ग़ुमराह क्यों किया?
आख़िर आदर्शनगर जोन किस दबाव में है कि दो मंज़िला 1611.11 वर्गगज में बनी बिल्डिंग उसकी निग़ाहों से ओझल हो गयी है?
गलतागेट गोवर्धनपुरी में आदर्शनगर जोन उपायुक्त सुरेश राव कभी गए नहीं फिर उन्हें कौनसा राजकीय बालिका विद्यालय संचालित होते हुए दिख गया उन्हें?
आख़िर आदर्शनगर जोन उपायुक्त राव प्रशासनिक   अधिकारी होते हुए अदालत में झूठे बयान क्यों पेश कर गए?
इस जिज्ञासा के चलते आदर्श नगर जोन उपायुक्त सुरेश राव से संपर्क किया गया किंतु ऑन कैमरा प्रतिक्रिया देने के सम्बंध में  उपायुक्त सुरेश राव ने असहमति जताई अतः उनकी इच्छा को सर्वोपरि रखते हुए कैमरा ऑफ करके उनसे बातचीत की गई।
हिलव्यू समाचार संपादक शालिनी श्रीवास्तव द्वारा उपरोक्त यक्ष प्रश्नों पर चर्चा के कुछ अंश-

शालिनी श्रीवास्तव प्रश्न 1.
आपने झूठी रिपोर्ट से अदालत को ग़ुमराह क्यों किया जबकि गलता गेट गोवर्धनपुरी में दो मंज़िला अवैध बिल्डिंग अपने अस्तित्व होने की कहानी ख़ुद कह रही है?
(अवैध निर्माण सबंधित फ़ोटो व सम्बंधित दस्तावेज़ दिखाते हुए प्रश्न किया गया था)

उपायुक्त सुरेश राव उत्तर :
नवनिर्माण नहीं होने की बात कही है मैंने न कि निर्माण  होने की अन्यथा ऐसे तो कई काम चल रहे होंगे क्षेत्र में?

प्रश्न 2.आपने गलता गेट गोवर्धनपुरी की अवैध दो मंज़िला बिल्डिंग को झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत कर अदालत की आँखों से ओझल कर दिया और एक झूठा राजकीय बालिका विद्यालय संचालित बता दिया?

आख़िर इतना झूठ क्यों पेश किया आपने अदालत के समक्ष?क्या आप किसी दबाव में हैं?
आप एक प्रशासनिक अधिकारी हैं? अदालत में पेश रिपोर्ट में हस्ताक्षर आपके ही हैं न सर?

उत्तर : 2
हाँ ! मेरे ही हैं लेकिन मेरे संज्ञान में यह मामला अभी पूरा नहीं। दिन भर में कई फाइलें होतीं हैं। अतः हस्ताक्षर कर दिए होंगे। जोन में किसी का दबाव नहीं आ सकता। मैं कोई ग़लत काम बर्दाश्त नहीं करता।आपके हिलव्यू समाचार  द्वारा पूरा मामला संज्ञान में लाया गया है अतः मैं पुनः मौक़े की जाँच करवाता हूँ। पहली रिपोर्ट वाली टीम का कोई सदस्य इस जाँच कमेटी में नहीं होगा?

प्रश्न 3. क्या अपने बयानों के ख़िलाफ़ जाँच कमेटी खड़ी कर पाएंगे आप?

उत्तर: 3
दुबारा जाँच होगी तो जो सत्य होगा वही मेरा उत्तर होगा आप स्थानीय नागरिकों से,पीड़ितों से एक प्रार्थना पत्र पुनः दिलवा दें कि मौक़े की पुनः जाँच की जाए। मैं दो दिन में मौक़े की पुनः जाँच करवाता हूँ।

निष्कर्ष : उपायुक्त महोदय अपने द्वारा अदालत में पेश की गई झूठी रिपोर्ट में ख़ुद उलझ गए हैं इसीलिए इस तरह के उत्तर दे गए। क्या वे वास्तव में जाँच कमेटी बनाएंगे? अगर बनाते हैं तो देखते हैं उनकी दूसरी जाँच कमेटी मौक़े की पुनः क्या रिपोर्ट प्रस्तुत करती हैं या उपायुक्त स्वयं अपने ज्ञानचक्षु खोल अपनी प्रशासनिक सेवा का कर्तव्य पूरा करेंगे और मौक़े पर जाकर ख़ुद मुआयना करेंगे?
◆ दो दिन बाद फिर हिलव्यू समाचार आगे की स्थिति पर जाँच-पड़ताल करेगा◆




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