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राज्य सरकार भुखमरी के शिकार लोगों तक अनाज पहुंचाने में नाकाम ।

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खाद्य सामग्री का खोना राज्य सरकार की नाकामी,ज़िम्मेदार लोग जनता से माफ़ी मांगे : मीनाक्षी जैदी आप नेता

जयपुर हिलव्यू समाचार। आम आदमी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पत्रकार वार्ता में आप नेता मीनाक्षी जैदी ने कहा कि केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश मे भुखमरी तेजी से बढ़ रही है। इन हालात में राजस्थान की स्थिति और भी ज्यादा ख़राब हो रही है क्योंकि राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उपलब्ध होने वाले अनाज को भुखमरी के शिकार लोगों तक पहुंचाने में नाकाम है।
आम आदमी पार्टी राजस्थान का आरोप है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 46 हजार टन अनाज लेप्स हुआ क्योंकि राज्य सरकार राशन का वितरण का काम ठीक से नहीं कर पाई। शर्मनाक बात यह है कि यह जिम्मेदारी मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खचरियावास की बनती है लेकिन सरकार के मंत्री अधिकारियों को दोषी ठहरा कर खुद ज़िम्मेदारी से भाग जाना चाहते हैं।हमारी मांग है कि राजस्थान में इस सम्बन्ध में एक खाद्य सुरक्षा की हाई पावरएड कमिटी बने जिसके अध्यक्ष रिटायर्ड हाई कोर्ट जज हों, इसमें सिविल सोसाइटी के लोगों को जोड़ा जाए और इस फील्ड के एक्सपर्टस भी शामिल हों। ऐसी कमिटी की देखरेख में खाद्य सामग्री का वितरण होना चाहिए।
आम आदमी पार्टी नेता और पूर्व राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी मीनाक्षी सेठी जैदी ने आरोप लगाया कि राजस्थान में पिछले पांच साल में जनता का कोई काम नहीं हुआ। महज जोड़-तोड़, गुटबाजी, भ्रष्टाचार और भाईभतीजावाद की राजनीति चली है। आज भी खचरियावास अधिकारियों की ए सी आर लिखने के अधिकार दिए जाने की मांग उठा कर अपने नाकारापन पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं।
जैदी ने कहा कि इस लेप्स के कारण जिस गरीब जनता को जो दिक्कत पेश आई है उनसे सरकार माफी मांगे और आगे ऐसी समस्या नहीं होगी उसके लिए क्या उपाय किये गए है , उसका प्लान जनता के सामने रखें। सरकार की नाकामी एक खाद्य के मोर्चे पर ही नहीं है बल्कि कानून व्यवस्था, बिजली-पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में हालात और भी ज्यादा खराब हैं। लेकिन खाद्य एवं आपूर्ति के मोर्चे पर असलियत जनता के सामने लाने की ज़रूरत है।
राजस्थान में 46000 टन गेहूं लैप्स हो गया, क्योंकि सरकार द्वारा उसको काम में लेने का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। इस गेहूं से 92 लाख लोग ( 5 किलो प्रति व्यक्ति ) लोग अपने अधिकार से वंचित हो गये। समस्याएं और भी है जिनके चलते भुखमरी की कगार पर बैठे लोगों तक अनाज नहीं पहुंच पा रहा है।
हज़ारों लोग खाद्य सुरक्षा योजना में पंजीकारण नहीं करवा पा रहे क्योंकि तीन स्तरों पर वेरिफिकेशन होता हैँ ( ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, उपखण्ड स्तर ), ये एक जटिल प्रक्रिया है
लाखों लोग जो पहले से पंजीकृत हैं, उन्हें गेहूं और राशन नहीं मिल पा रहा हैँ क्योंकि या तो मशीन उनके फिंगर प्रिंट्स को रीड नहीं कर पाती ( गरीब, मज़दूरों के फिंगर प्रिंट्स काम करने से बदल जाते हैं ) या फिर राशन दुकान वाला उनसे सहयोग नहीं करता या अपात्र लोगों को पंजीकृत कर दिया गया हैँ, शादी होते ही लोग अलग राशन कार्ड बना कर दोहरा फायदा उठाते हैँ उस पर सरकार का ये गैर ज़िम्मेदाराना रवैया प्रशासनिक विफलता हैँ।
इस सम्बन्ध में हम राज्य सरकार को कुछ सुझाव भी देना चाहते हैं

  1. इस सम्बन्ध में एक खाद्य सुरक्षा हाई पावरएड कमिटी बने जिसके अध्यक्ष रिटायर्ड हाई कोर्ट जज हों, इसमें सिविल सोसाइटी के लोगों को जोड़ा जाए और इस फील्ड के एक्सपर्टस हों
  2. नीचे से मंत्री स्तर तक अनुमति कि समबद्ध व्यवस्था हो जो ऑनलाइन हो, इसमें पता चल सके कि किस स्तर पर कितना टाइम लगा( लोक सेवा गारंटी अधिनियम मज़ाक बन कर रह गया है)
  3. राशन कि दुकानों के खुलने और बंद होने का टाइम फिक्स हो और उसकी प्रॉपर मॉनिटरिंग हो
  4. राशन कि दुकानों पर गेहूं के साथ साथ चावल,दाल,तेल भी मिलना चाहिए



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