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द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत 2023

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वर्ष 2023 की “द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत 13 मई को सम्पन्न

एक ही दिन में 38.67 लाख प्रकरणों का निस्तारण एवं 14 अरब 54 करोड़,22 लाख की राशि के अवॉर्ड पारित

जोधपुर पीठ 233 प्रकरणों का एवं जयपुर पीठ मे 941 प्रकरणों का राजीनामे से निस्तारण

न्याय एवं निःशुल्क कानूनी सहायता को साकार करने में राष्ट्रीय लोक अदालत की महत्वपूर्ण भूमिका : एम.एम. श्रीवास्तव कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय

जयपुर हिलव्यू समाचार। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वावधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2023 की द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत का दिनांक 13 मई को राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर व जयपुर सहित राजस्थान प्रदेश के समस्त अधीनस्थ न्यायालयों, अधिकरणों, आयोगों, उपभोक्ता मंचा राजस्व न्यायालयों आदि में आयोजन किया गया।

राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के सदस्य सचिव प्रनिल कुमार माथुर ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर पीठ, जयपुर में माननीय न्यायाधिपति एम. एम. श्रीवास्तव, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के पदासीन माननीय न्यायाधिपतिगण एवं सेवानिवृत्त न्यायाधिपतिगण, राजस्थान उच्च न्यायालय रजिस्ट्री एवं रालसा के पदाधिकारीगण, अधिवक्तागण, पक्षकारगण, कर्मचारीगण एवं विधि विद्यार्थीगण की मौजूदगी में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया।

माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, मुख्य पीठ, जोधपुर में माननीय न्यायाधिपति विजय बिश्नोई, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जोधपुर द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश महोदय द्वारा अपने उद्बोधन में बताया गया कि लोक अदालत अब हमारी कानूनी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 क में प्रदत्त सभी के लिए समान न्याय एवं निःशुल्क कानूनी सहायता को साकार करने में राष्ट्रीय लोक अदालत की महत्वपूर्ण भूमिका है जिसके माध्यम से देश के लोग लिटिगेशन की लंबी और महंगी प्रक्रिया से अलग अपने कानूनी विवादों को शीघ्र और प्रभावी ढंग से निःशुल्क हल कर सकते हैं।विवादों के समाधान के लिए लोक अदालत का यह मंच आपसी सम्मान और समझ की भावना को बढ़ावा देता है जो एक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण के लिए आवश्यक है। प्रकरण चाहे प्री-लिटिगेशन हो या फोर्ट्स में लंबित, लोक अदालत अब मुकदमों के शीघ्र और शांतिपूर्वक समाधान का पर्याय बन चुकी है।

इस राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालयों में लंबित राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (NI Act) के प्रकरण घन वसूली के प्रकरण एम. ए. सी. टी. के प्रकरण श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रकरण, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित प्रकरण (अशमनीय के अलावा), पारिवारिक विवाद (तलाक को छोड़कर) भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित प्रकरण, सभी प्रकार के सर्विस मैटर्स पदोन्नति एवं वरिष्ठता विवाद के मामलों के अलावा), सभी प्रकार के राजस्व मामले (सीमाज्ञान / नामान्तरण / राजस्व अभिलेख में सुधार / पैमाइश / डिवीजन ऑफ होल्डिंग एवं रास्ते के विवाद सहित) वाणिज्यिक विवाद, बैंक के विवाद, गैर सरकारी शिक्षण संस्थान के विवाद, सहकारिता सम्बन्धी विवाद, परिवहन सम्बन्धी विवाद, स्थानीय निकाय (विकास प्राधिकरण / नगर निगम, आदि) के विवाद, रियल एस्टेट सम्बन्धी विवाद, रेलवे क्लेम्स सम्बन्धी विवाद, कर सम्बन्धी विवाद, उपभोक्ता एवं विक्रेता/ सेवा प्रदाता के मध्य के विवाद, सिविल मामले (किरायेदारी बंटवारा, सुखाधिकार निषेधाज्ञा, घोषणा, क्षतिपूर्ति एवं विनिर्दिष्ट पालना के दावे) जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित विवाद अन्य राजीनामा योग्य ऐसे मामले जो अन्य अधिकरणों / आयोगों / मंचों / अथॉरिटी / प्राधिकारियों के समक्ष लंबित हैं. लोक अदालत में रखे गये।

बैंक एवं वित्तीय संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर प्री- काउंसलिंग के विशेष अभियान का संचालन किया गया व सम्पूर्ण राजस्थान के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में Door-Step काउंसलिंग हेतु विशेष अभियान चलाया गया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति एवं कार्यकारी अध्यक्ष,रालसा एम. एम. श्रीवास्तव के प्रयासों एवं प्रेरणा से विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा सम्पूर्ण प्रदेश में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए कुल 38.67 लाख से ज़्यादा प्रकरणों का लोक अदालत की भावना से जरिए राजीनामा निस्तारण किया गया, जिसमें कुल 14 अरब,54 करोड़,22 लाख,63 हज़ार,015 रूपये की राशि के अवॉर्ड पारित किये गये।माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ, जोधपुर द्वारा 233 प्रकरण व जयपुर पीठ द्वारा 941 प्रकरणों का राजीनामे के माध्यम से निस्तारण किया गया।




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