कार्तिक मास का उपहार
आया दीपों का त्योहार ।।
गुलाबी ठंढ़ से गुलज़ार
बहने लगी पछुआ बयार।
खुशबू देता हरसिंगार
झूमने लगी धरा अपार।।
सुन्दर सजा हुआ बाज़ार
लगी है दीपों की क़तार ।
पटाखे रखे हैं भरमार
लेने वाले लोग हज़ार ।।
बच्चों के खुशियों का राज़
सतरंगी फुलझड़ियां आज।
दरवाजे शोभे कंदील
हर घर रोशनी में तब्दील।।
बांटों मिठाई और प्यार
हो जग में सबका मनुहार।
मिलें गले भूल भेदभाव
लाना है सबमें बदलाव।।
कार्तिक मास का उपहार
आया दीपों का त्योहार।
डॉ पुष्प कुमार राय
भागलपुर
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