आदर्शनगर विधायक रफ़ीक़ ख़ान और जेईएन विजेंद्र मीणा अवैध निर्माण और अतिक्रमण के माफ़िया , हर अवैध निर्माणकर्ता कहता है विधायक रफ़ीक़ ख़ान से है पारिवारिक सम्बंध ,क्या इसी वजह से नहीं हो रही आदर्शनगर जोन में कोई कार्यवाही , जेईएन विजेंद्र मीणा आदर्शनगर जोन से क्यों रहते हैं नदारद अगर फील्ड में रहते हैं तो कौनसे फील्ड में होते हैं?
ज़ीरोसेटबैक पर बनती बहुमंज़िला बिल्डिंग्स पर नेताओं की मेहरबानी
प्लॉट C-17, C-24,C-27,634 सिंधी कॉलोनी में लगातार होते अवैध निर्माण क्यों दिखाई नहीं देते विजेंद्र मीणा को?
◆C-17 ने पड़ौसी और निगम से किया समझौता साथ-ही विधायक रफ़ीक़ खान का लिया है सहयोग ◆दिशान्त नागपाल C-24 ने पड़ौसी और निगम से मिलीभगत कर विधायक रफ़ीक़ खान का लिया सहयोग ◆C-27 आवसीय में कमर्शियल का निर्माण ज़ीरो सेटबैक पर। होटल के लिए बन रही बिल्डिंग। ◆प्लॉट 634,हिमांशु जीवनानी आवासीय में बना रहा बहुमंज़िला बिल्डिंग। फ़्लैट्स बिकेंगे करोड़ों में। बिना अनुमति लगातार काम जारी। सभी अवैध निर्माण इनकम टैक्स,राजस्व विभाग को लगा रहे चूना।
सुनिए इन अवैध निर्माणों की कहानी
शालिनी श्रीवास्तव /जयपुर,हिलव्यू समाचार
आदर्शनगर जोन नगर निगम हैरीटेज के प्लॉट नम्बर C-17,C-24,C-27,634सिंधी कॉलोनी, रेजिडेंशियल प्लॉट में धड़ल्ले से हो रहा है अवैध निर्माण। यह अवैध निर्माण मात्र अवैध निर्माण ही नहीं बल्कि शासन और प्रशासन का फेलियर है। बिल्डर और निर्माण कर्ता अनुमति कुछ और लेते हैं और साइट पर काम कुछ और ही होता है। बिल्डर्स सेटबैक के नियमों का पालन नहीं करते हैं और न ही प्लॉट्स का पुनर्गठन करवाते हैं और न ही यूनिट उतने बनाते हैं जितने की परमिशन ली जाती है। अगर सही तरीके से निगम अधिकारी नापचौक करें तो ये इमारतें ध्वस्तीकरण लायक ही होतीं हैं
बिल्डर्स सहित निगम ने भी बिल्डिंग बायलॉज के नियमों का मज़ाक बना कर रख दिया है। ग़लती से नगर निगम बिल्डिंग सीज़ कर भी देते हैं तो खोलने के आसान रास्ते भी बिल्डर्स को बता देते हैं और सीजर की अवधि के विपरीत जाकर नियत समय से पहले से तगड़ी मोटी रकम खिलाकर सील खुलवा ली जाती है और अवैध निर्माण कार्य पुनः शुरू हो जाता है जिसकी वजह से इन बिल्डर्स के हौसले बुलंद हो जाते है और फिर ये मनमानी करने से बाज़ नहीं आते है। पेंट हाउस और बेसमेंट्स की परमिशन लिए बिना बेसमेंट्स और पेंट हाउस भी बना लेते है। इस तरह लागत ख़र्च से दोगुना तिगुना लाभ लेकर बिल्डर्स करोड़पति अरबपति बन जाते हैं और भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के भ्रष्ट सहयोग से इनकमटैक्स और राजस्व को चूना लगा जाते हैं।