अपने ही बनाये मकड़जाल में फँसकर मेयर पति चढ़ा एसीबी के हत्थे और मेयर मुनेश गुर्जर हुई निलंबित .आख़िर कांग्रेस नेत्री मेयर मुनेश गुर्जर के हूटर की आवाज़ को लग ही गया ग्रहण या यूँ कहें कि हूटर का गला घोंटा गया अपने ही पार्टी के नेताओं द्वारा।
लगभग तीन साढ़े तीन साल से शहर भर में मेयर के वाहन के हूटर की आवाज़ यातायात के नियमों का उल्लंघन करती घूम रही थी लेकिन पति सुशील की सुशील प्रवृति को ग्रहण लग गया कोई सूर्य या चंद्र ग्रहण नहीं बल्कि सिविल लाइन विधायक और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह और आदर्शनगर विधानसभा के विधायक रफ़ीक़ ख़ान की काली नज़र का ग्रहण। धारीवाल की तीखी और राजनैतिक धार पर भारी पड़े प्रताप सिंह और रफ़ीक़ ख़ान
प्रताप सिंह नाराज़ थे अपनी ही दया की मिट्टी से बनाई नेत्री मौन चिड़िया से जो अब ज़्यादा चहचहा रही थी इन दिनों और आदर्श नगर विधानसभा के विधायक पद का दाना चुगने चली थी तो नाराज़ थे ही आदर्श नगर विधानसभा विधायक रफ़ीक़ ख़ान।
आइये जानते हैं यह चिड़िया बाज़ बनी कैसे? साल-डेढ़ साल में चंबल की धरती कोटा में मंत्री धारीवाल के घर का दाना-पानी इस चिड़िया को बहुत रास आया और आख़िर में चिड़िया जब गुलाबी शहर के राजनैतिक गलियारों पहुँची तो कोचिंग के गढ़ कोटा से चंबल का पानी पीकर बाज़ बनकर लौटी।
गुलाबी शहर यानी राजधानी के बाज़ों को यह बात रास नहीं आयी वरना तो चार साल से तो पति सुशील का पिंजरा भी हेरिटेज निगम में अपने पिंजरे के साथ ही तो रखकर बैठ रहीं थीं मेयर मुनेश नामक चिड़िया।दाना पानी सुशील के पिंजरे में से पहुँच ही रहा था ऊपर नीचे आगे पीछे सब जगह…..। प्रताप का आशीर्वाद भी भर-भर कर मिल ही रहा था पति-पत्नी दोनों को कि अचानक चिड़िया के निकले विशाल सपनों के परों की भनक लगीं राजनैतिक गलियारों में विधायक टिकट की डाल पर बैठने के इच्छुक बाज़ों को ।
बाज़ों ने झुंड बनाया कि अब चिड़िया क्या बाज़ों से लड़ेगी और फिर जाल बिछाया शिकारी बाज़ों ने एसीबी से ट्रैपिंग का जो नादान पति के जी का जंजाल बन गया। पति सुशील यूडीएच मंत्री धारीवाल की धार को अपनी धार समझ बह रहा था सपनों की सर्द हवाओं में और फिर अचानक चुनावी गर्मी में एसीबी के जाल में फंस ही गया। इधर राक्षस की जान तोते में। पति की गर्दन जकड़ी तो पत्नी की साँसें तो उखड़नी ही थीं और मुनेश गुर्जर की आदर्शनगर विधानसभा से विधायक बनने की साँसें उखड़ने की कगार पर आ ही गयीं
अब तो..बदले की भावना से भरे प्रताप सिंह के जी को भी सूकून और शांति मिली और विधायक रफ़ीक़ ख़ान का एक दिशा से आता ख़तरा टला समझो .|विनाश काले विपरीत बुध्दि!! समय रहते बाज़ों की फ़ितरत समझ ली होती चिड़िया ने तो बाज़ों को भी ठिकाने लगाने के गुर सीख जाती हमारी तरह तो कम से कम।आज सत्ता हाथ से तो न जाती।