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साढ़े चार साल का गुस्सा बनाम पाँच घंटे का अनशन

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गहलोत सरकार द्वारा वसुंधरा राजे को दिए जा रहे संरक्षण पर उठे सवाल

राजे के बहाने गहलोत को घेरकर भ्रस्टाचार के मुद्दे पर अपनी राजनैतिक झाड़ू फेरने की कोशिश

पायलेट का यह अनशन सिर्फ चुनावी स्टंट

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ शहीद स्मारक पर सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक अनशन रख कर गहलोत सरकार द्वारा वसुंधरा राजे को दिए जा रहे संरक्षण पर सवाल खड़ा किया । अनशन समाप्त होने के बाद सचिन पायलट ने भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ तीखे तेवर दिखाने की कोशिश की है सचिन पायलट का यह अनशन भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई के रूप में प्रचारित किया जा रहा है ।

पायलट ने यहाँ तक कहा कि जब हम विपक्ष में थे तब हमने वसुंधरा सरकार के खान घोटाला और बजरी घोटाले को भी हमने उजागर किया था। हमने जनता से यह वादा किया था कि अगर हम सत्ता में आए तो वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करवाएंगे लेकिन हमारी सरकार को भी अब साढ़े 4 साल पूरे हो रहे हैं और अभी तक भ्रष्टाचार के मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इन मुद्दों को लेकर जनता का कहना है की अब कुछ महीने के बाद ही विधानसभा चुनाव होंगे, ऐसे में इन्होंने जो वादे जनता से किए थे जनता उनको लेकर इन्हे घेरेगी । ऐसे में पायलेट का यह अनशन सिर्फ चुनावी स्टंट निकलेगा । सूत्रों का कहना है की पायलेट द्वारा वसुंधरा राजे के बहाने गहलोत को घेरकर भ्रस्टाचार के मुद्दे पर यह अपनी राजनैतिक झाड़ू फेरने की कोशिश की जा रही हैं । चुनावों के दौरान जनता के बीच कैसे जाएं यह अनशन सिर्फ उसी की दूरगामी रणनीति है ।




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