राज्य सरकार को धोखा देने पर हृदेश कुमार शर्मा डीएलबी डायरेक्टर को राज्य सरकार ने बदले में दिया पदोन्नति का तोहफ़ा. . ?
◆डीएलबी निदेशक हृदेश कुमार शर्मा को वित्त विभाग (व्यय-3 अनुभाग) की फ़र्ज़ी आईडी क्रिएट करने
◆ उस आईडी से प्रतिनियुक्ति के माध्यम से फ़र्ज़ी नगर नियोजक गैंग खड़ी करने
◆ व सरकार की आँखों में धूल झौंकने के बावजूद अर्थात इन भ्रष्ट मंसूबों के बावजूद राज्य सरकार द्वारा पदोन्नति दी गयी? आख़िर क्यों?
◆इतना बड़ा घोटाला करने व उसका खुलासा भी हो जाने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा हृदेश कुमार शर्मा को संयुक्त शासन सचिव से विशिष्ट शासन सचिव स्थानीय निकाय विभाग की राजगद्दी सौंप दी गयी? आखिर क्यों ? जानिए विस्तार से पुरा मामला-
जहाँ एक ओर राजस्थान सरकार आम जनता के हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती है वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार फैलाते भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कड़ी कार्यवाही सरकार द्वारा नहीं किया जाना कई प्रश्न खड़े करता है। इसी कड़ी में एसीबी कार्यवाहक महानिदेशक बनते ही हेमन्त प्रियदर्शी का यह नया फ़रमान कि “घूस लेते पकड़े जाने पर घूसखोर की पहचान न बताएँ उनके मानवाधिकारों की रक्षा करें” सरकार की कार्यनीतियों को कटघरे में खड़ा करता है और इस तरह का हर फरमान या कृत्य आम जनता के हितों पर कुठाराघात करता है हालांकि विरोध की बुलंद आवाज़ के बाद यह आदेश वापस ले लिया गया है।
हाल ही में कुछ महीनों जून 2022 में हृदेश कुमार शर्मा स्वायत्त शासन विभाग के वर्तमान निदेशक तात्कालिक अतिरिक्त निदेशक राकेश कुमार ,तात्कालिक मुख्य नगर नियोजक राजेश तुलारा द्वारा राज्य सरकार को धोखा देते हुए अपने चहेते नगर नियोजकों को पदोन्न्ति देने, पदस्थापन करने तथा इस फ़र्ज़ी गैंग के माध्यम से करोड़ों की अवैध आय अर्जित करने की मंशा से राज्य सरकार के वित्त विभाग (व्यय-3) की एक फ़र्ज़ी आई डी संख्या 102202919 दिनांक 15/6/22 को क्रिएट करके एक कार्यालय आदेश संख्या एफ.3(क) (नगर नियोजक प्रकोष्ठ) का.प्र./ स्थानिय/22/37005 दिनांक 17/6/22 के जरिये –
मुख्य नगर नियोजक – 01 पद
वरिष्ट नगर नियोजक – 01 पद
उप नगर नियोजक – 02 पद
सहायक नगर नियोजक – 02 पद
वरिष्ठ प्रारूपकार – 02 पद
उपरोक्त पदों को सृजित करते हुए दूसरे विभाग के अधिकारियों को अनुचित सहायता पहुँचाने की मंशा से नगर नियोजन विभाग से प्रतिनियुक्ति से भरे जाने का आदेश जारी किया गया। उपरोक्त भ्रष्ट मिशन पर शंका उत्पन्न होने पर अखिल राजस्थान नगर पालिका तकनीकी एवम प्रशासनिक सेवा एसोसियेशन के अध्यक्ष राजपाल चौधरी ने वित्त विभाग में एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारियों के साथ ज्ञापन देकर सम्पर्क किया तो जानकारी प्राप्त हुई कि वित्त विभाग (व्यय-03 अनुभाग) द्वारा इस प्रकार की कोई भी आई डी जारी ही नहीं की गई है और उसके स्तर से स्वायत्त शासन विभाग में नगर नियोजक प्रकोष्ठ गठित किये जाने व उसके लिए पदों के सृजन की भी कोई सहमति प्रदान नहीं की गई है।
अर्द्धशासकीय पत्र दिनांक 23.6.22 जारी करने,पद सृजन व उसकी प्रतिनियुक्ति आदेश दिनांक 17.6.22 को निरस्त करने हेतु लिखा गया। वित्त विभाग (व्यय-3) के निर्देश पर डी एल बी निदेशक हृदेश कुमार शर्मा को अपने ही हस्ताक्षर द्वारा आदेशित 17.6.22 के आदेश को निरस्त करना पड़ा और इस प्रकार यह फ़र्ज़ी गैंग बनने से पहले ही ब्लास्ट कर दी गयी एक जागरूक शिकायतकर्ता के प्रयासों से। मगर इस प्रकार इतने बड़े आईएएस अधिकारी का भ्रष्टाचार खुलकर सामने आया लेकिन जो कार्यवाही वित्त विभाग (व्यय-3 ) या राज्य सरकार को करनी चाहिए थी वह क्यों नहीं की गई आज तक?—
◆ आख़िर वित्त विभाग (व्यय-3) ने फ़र्ज़ी विज्ञप्ति जारी करने के ज़ुर्म में अपराधिक प्रकरण दर्ज क्यों नहीं करवाया।
◆कोई भी कार्यवाही राज्य सरकार द्वारा या विभाग द्वारा क्यों नहीं की गई ???
◆आख़िरकार किन भ्रष्टाचारी मंसूबों के चलते यह गैंग खड़ी की जा रही थी?
◆इतना बड़ा घोटाला किस घुट्टी में घोलकर पी लिया गया यह एक जटिल और यक्ष प्रश्न है सरकार व वित्त विभाग दोनों के लिए? वित्त विभाग की फ़र्ज़ी आईडी बनाकर नगर नियोजकों के 08 पदों की आवश्यकता निकालने की साज़िश आख़िर क्यों दबा दी गईं? अगर इन भ्रष्ट अफसरों के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है तो कार्यवाही किस प्रगति पर है? ऐसे कई प्रश्नों के साथ हिलव्यू समाचार करेगा इस सम्बंधित सभी विभागों से जल्द संपर्क।