पंजाब कांग्रेस प्रभारी व विधायक हरीश चौधरी की प्रेस वार्ता ।
संगठित होकर ओबीसी वर्ग ने किया मजबूती से संघर्ष तो हुई जीत
मुख्यमंत्री पद का फैसला हो चुका: पूर्व मंत्री हरीश चौधरी
ओबीसी आरक्षण की विसंगति हुई अब दूर : हरीश चौधरी
हरीश चौधरी ने सीएम,कैबिनेट सहित तमाम सहयोगीयों को दिया धन्यवाद
29 अक्टूबर को अभ्यर्थी संघर्ष पर उतरे और 30 को सरकारी स्तर पर वार्ता
पहली बार ओबीसी वर्ग द्वारा संगठित होकर अनुशासनात्मक तरीके से संघर्ष ।
राजपूत और जाट का नाम लेकर भ्रम फैलाया यह दुर्भाग्यपूर्ण
जयपुर । ओबीसी आरक्षण की विसंगतियां दूर किए जाने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री व पंजाब कांग्रेस प्रभारी, विधायक हरीश चौधरी शुक्रवार को जयपुर में मीडिया से रूबरू हुए । इस अवसर पर उन्होंने बताया कि ओबीसी आरक्षण से जुड़े सभी लोगों का में धन्यवाद देना चाहता हूं, यह आरक्षण समिति के संघर्ष की जीत है और प्रदेश के उन तमाम युवाओं की जिन्होंने मजबूती से संगठित होकर यह लड़ाई लड़ी जिसके कारण ही कैबिनेट में यह फैसला हुआ । चौधरी ने कहा कि वे साथ ही सरकार, कैबिनेट व सीएम अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व सभी पार्टी पदाधिकारियों के साथ ही मीडिया को भी धन्यवाद देना चाहेंगे जिन्होंने प्रदेश के लाखों युवाओ के इस संघर्ष में सहयोग कर उन्हे न्याय दिलाया । हिलव्यू समाचार ने इस सफलता के बाद हरीश चौधरी से पूछा कि नए सीएम के चेहरे के बाद मंत्रिमंडल में क्या एक चेहरा आपका भी होगा । इस पर पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने सीएलपी की मीटिंग का हवाला देते हुए बताया की 102 विधायकों की बात को बड़ी रखते हुए हमने अपना निर्णय आलाकमान के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था अतः अब सीएम का चेहरा तो तय हो चुका अब कोई निर्णय बाक़ी नहीं है। आलाकमान को हमने निर्णय सौंपा है अब वे जो निर्णय करेंगी जो की वो हो चुका है । राजस्थान में गहलोत समर्थकों के इशारे अब भी यही कहते हैं कि पायलेट मुख्यमंत्री नहीं होंगे । तथा हरीश चौधरी ने कहा कि 29 अक्टूबर को अभ्यर्थी संघर्ष पर उतरे और 30 को सरकार के स्तर पर वार्ता हुई जिसके बाद दो दिन में सभी विभागों से स्वीकृतियां मिल गई, लेकिन उसके बाद तय समय मे कैबिनेट की बैठक नही बुलाने पर अफसोस भी हुआ । कई दफे कैबिनेट की बैठक बुलाने का आग्रह किया फिर 8 नवम्बर को कैबिनेट की बैठक बुलाना तय होता है और उस बैठक में किसी मंत्री द्वारा इसका विरोध और फिर बात बाहर आउट होना यह पूरी तरह से असवैंधानिक थी। चौधरी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि आजादी के बाद पहली बार ओबीसी वर्ग ने संगठित होकर अनुशासनात्मक तरीके से संघर्ष किया और कैबिनेट में डेफर होने के बाद भी मैने मजबूती से आवाज को उठाई तो व्यक्तिगत रूप से भी कई लोग मुझसे नाराज भी हुए। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में हर वर्ग ने सहयोग किया, हर स्तर के कर्मचारियों ने पूरे लग्न व ईमानदारी से बेरोजगार युवाओं के संघर्ष में साथ दिया। साथ ही चौधरी ने कहा कि डीओपी मंत्रालय सीएम अशोक गहलोत खुद के पास है जो कैबिनेट में जवाब देना और उस दरम्यान निराधार बातों पर विवाद खड़ा होना और सवाल खड़े करवाना और विवाद में डालने की कोशिश हुई। साथ ही जाति के आधार पर जाट राजपूत को लेकर बात करना दुर्भाग्यपूर्ण था। संगठित होकर ओबीसी वर्ग ने संघर्ष किया, जिसके बदौलत जीत मिली। पत्रकार वार्ता में चौधरी ने कहा कि यह सफर कठिन था और एक महीने में तीन दफे सिंगल एजेंडे के तौर कैबिनेट बुलाने का आग्रह किया गया। 8 को कैबिनेट तय होना और फिर डेफर होना जो फैसला प्रदेश के हित मे नही था। कैबिनेट नही होने से जो देरी हो रही जो प्रदेश के हित मे नही था। इसके साथ ही जिस तरह से इस मामले में राजपूत और जाट का नाम लेकर भ्रम फैलाया यह दुर्भाग्यपूर्ण था, जबकि हमने कभी भी ऐसी बात नहीं की। मुख्यमंत्री ने आज तक जो भी चुनाव लड़ा किसी ना किसी जाति के खिलाफ ही लड़ा है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति किसी ना किसी रूप में किसी जाति से जुड़ा होता है। राजस्थान में कोई भी फैसला सौहार्द पूर्ण तरीके से होता है,लेकिन यह फैसला उस भावना के विपरीत हुआ। उन्होंने कहा कि राजस्थान में हक और हित के लिए फैसला होता है तो दूसरा पक्ष विवाद में नहीं बांटा जाता। लेकिन हमें विवादों में बांटा गया। कोशिश की गई आपस में किसी भी तरह डिविजन करवाया जाए । लेकिन तहेदिल से धन्यवाद देता हूं कि सभी ने मिलकर संघर्ष किया।