ज़ीरोसेटबैक पर बनती आवासीय भूखण्ड में बहुमंज़िला अवैध बिल्डिंग्स ,प्लॉट न.111 रामगली न.05 में सड़क किनारे लगे पेड़ों तक आ रहा अवैध निर्माण इससे पहले कि अवैध निर्माण के चलते बिल्डर का बाउंड्री का लालच इन पेड़ों निगल जाए मालवीय नगर जोन नगर निगम को करनी चाहिए कार्यवाही
पड़ौसी हैं परेशान सेटबैक न छोड़ने से लगातार मालवीयनगर जोन में दर्ज कर रहे शिकायत
शालिनी श्रीवास्तव जयपुर हिलव्यू समाचार।
मालवीयनगर जोन नगर निगम ग्रेटर में लगातार अवैध निर्माण तेज़ी से बढ़ रहे हैं। रामगली न.05 प्लॉट न.111 इसका सशक्त उदाहरण है। बहुमंज़िला होता यह अवैध निर्माण सेटबैक में गेम खेल गया है। किनारों पर लगे पेड़ों से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बिल्डिंग का सेटबैक कितना संदिग्ध है। हो सकता है बिल्डर्स अवैध निर्माण के नशे में यह पेड़ भी बाउंड्री के लालच में काट दें और पर्यावरण के साथ कुठाराघात कर दें।
जो यह आवासीय भूखण्डों में कमर्शियल बहुमंज़िला बिल्डिंग्स बन रही हैं इनके फ़्लैट्स बिकते हैं करोड़ों में।एक भूखण्ड जहाँ एक करोड़ डेढ़ करोड़ का होता है वहाँ यही प्लॉट बहुमंज़िला इमारत में बदलकर करोड़ से अरब में बदल जाता है। एक-एक फ्लैट की क़ीमत राजापार्क इलाके में सत्तर लाख से लेकर डेढ़ करोड़ तक होती है ऐसे में 14-15 फ़्लैट्स की कुल कीमत कितनी हो जाती है यह गणित हमें बताने की आवश्यकता नहीं है। करोड़ से अरबों में बदलता भूखण्ड बिल्डर को कुछ माह में ही अरबपति बना देता है। इनकमटैक्स के छापे पड़ें तो यह बात प्रमाणित भी हो सकती है।
इसी के साथ पेंट हाउस और बैसमेन्ट जिनका ज़िक्र निर्माण स्वीकृति में नहीं होता बेसमेंट्स में बने कमरे या पार्किंग की कीमत पाँच लाख से आठ लाख तक होती है और पैंट हाउस फ्लैट की कीमत से भी ज़्यादा बिकता है छत की स्पेस के कारण लगभग एक करोड़ तक। ऐसे में निगम के राजस्व को तो चूना लगता ही है साथ-साथ इनकमटैक्स विभाग को भी बेवकूफ़ बनाया जाता है। बिल्डर्स आम उपभोक्ता को लग्ज़री सुविधाओं का लालच देकर 70% राशि काले धन में और 30% राशि डीएलसी रेट में एक नंबर में लेते हैं। शासन और प्रशासन की मिलीभगत के बिना कुछ सम्भव नहीं होता। ऐसे में सरकार का अवैध निर्माण और अतिक्रमण में त्वरित कार्यवाही न करना सरकार के प्रतिनिधियों को भी सन्देह के घेरे में खड़ा करता है।