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मंगलम हॉस्पिटल की वजह से बर्फ़ख़ाना चौराहे पर हो रहा अमंगल

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जयपुर हिलव्यू समाचार ।शालिनी श्रीवास्तव की स्पेशल रिपोर्ट /- C-29 डॉ अमित माथुर का मंगलम हॉस्पिटल और C-27,सिंधी कॉलोनी राजापार्क लालचन्द देवनानी पूर्व पार्षद, दोनों का अवैध निर्माण आदर्शनगर जोन नगर निगम हैरीटेज को कटघरे में खड़ा कर रहा है।

ज़ीरो सेटबैक पर बनी यह अवैध बिल्डिंग्स आवासीय भूखण्ड में कमर्शियल बन रही हैं। पार्किंग की कोई जगह नहीं निकाली गई। यह अवैध बहुमंज़िला बिल्डिंग्स सड़क की चौड़ाई तो खा ही गयीं हैं और तो और ट्रैफ़िक जाम का मुख्य कारण भी हैं।बिना नगर निगम की मिलीभगत और भ्रष्ट नीति के क्या यह सम्भव है? घँटों जाम रहता है बर्फ़ ख़ाने पर इस वजह से।

डॉ अमित माथुर का मंगलम हॉस्पिटल किसी का मंगल करे न करे फ़िलहाल बर्फ़ख़ाना चौराहे की शांति को भंग कर रहा है। ज़ीरोसेटबैक,बिल्डिंग बायलॉज के नियम तो ताक पर है हीं, स्वीकृति के विरुद्ध जाकर जो कमर्शियल निर्माण किया गया है वह निगम से सांठगांठ को प्रमाणित करता है-

◆कोई पार्किंग नहीं◆मरीज़ों के परिजनों के लिए कोई जगह नहीं। आसपास के मकानों में बैठे रहते हैं यह आम रहवासियों के लिए सरदर्द बना हुआ है। ◆बर्फ़ख़ाना चौराहे पर जाम का मुख्य कारण C-29 मंगलम हॉस्पिटल व C-27 ही है ◆जहाँ बेतरतीबी से मटेरियल तो पड़ा ही रहता है बल्कि अनाप-शनाप तरीके से साधन भी खड़े रहते हैं। ◆इमरजेंसी एम्बुलेंस अगर आ जाये तो हड़कम्प मच जाए। ◆आसपास के रहवासियों की सुरक्षा भी ख़तरे में है कि मरीजों के साथ कई तरह के लोग आते हैं। रात-रात भर घरों के बाहर मरीजों के रिश्तेदार व परिजनों का जमावड़ा लगा रहता है। ◆सबसे बड़ी बात सड़क जाम के कारण ट्रांसफार्मर को मंगलम हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने छत पर शिफ्ट कर दिया है यह कितना बड़ा ख़तरा है आम रहवासियों व हॉस्पिटल के मरीज़ों के लिए?विनाशकाले विपरीत बुध्दि को प्रमाणित कर रहे हैं डॉ अमित माथुर।

इसी तरह लालचन्द देवनानी होटल के लिए प्लॉट न.C-27 को बहुमंज़िला बढ़ाये जा रहे हैं। ज़िरोसेटबैक तो है ही आवासीय में कमर्शियल निर्माण कर रहे हैं। पार्किंग का कोई स्पेस नहीं रखा गया

आख़िर किस तरह बर्फ़ख़ाना चौराहा घेरा गया है सोचने का विषय है।बिना नक़्शे,ले-आउट प्लान,भू-रूपांतरण के आवासीय में बनती यह कमर्शियल बिल्डिंग्स निगम की स्वीकृति के बिना अवैध रूप से बनती है या फिर स्वीकृति कुछ और होती है मौक़े पर काम कुछ और होती है। निगम व बिल्डिंग मालिकों की आपसी सांठगांठ इन अवैध बिल्डिंग को जन्म देती है।




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