रहस्यमयी लाल डायरी के सूत्रधार आरटीडीसी चेयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ का राठौड़ी प्रबन्धन सन्देह के घेरे में
शॉर्टकट मीडिया मेन की पत्नी सृष्टि जैन तहसीलदार से डायरेक्ट कैसे बन गयी पर्यटन महा प्रबंधक
सरकार का प्रशासनिक दोगलापन और दोहरापन अधिकारियों का गिरा रहा मनोबल
तहसीलदार होता है SDM पद से जूनियर लेवल का अधिकारी ,
सैकड़ों SDM और उच्च अधिकारियों के अधिकारों का हुआ है हनन
शालिनी श्रीवास्तव हिलव्यू समाचार जयपुर। परीक्षाएँ और इंटरव्यू देते -देते आदमी का जीवन घिस जाता है लेकिन अपने सपनों के मुक़ाम पर वह नहीं पहुँच पाता लेकिन सत्ता में बैठे दिग्गज़ों की कृपा दृष्टि पड़ जाए तो उनके करिअर की सृष्टि बदल जाती है।
जैसे राजस्व विभाग की तहसीलदार सृष्टि जैन की क़िस्मत आरटीडीसी चेयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ की कृपा से बदल गयी है। यूँ वो राजस्व विभाग के किसी तहसील के दफ़्तर की अधिकारी रहीं लेकिन अब प्रदेश के पर्यटन विभाग की महाप्रबंधक बन गईं हैं। जो अपने आप में एक सवालिया माहौल खड़ा करता है। हज़ारों SDM और उनसे सीनियर अधिकारी गर्दन ऊँची करके ताकते ही रह गए
साल भर में उभरे टीवी चैनल मीडिया मेन की पत्नी सृष्टि जैन आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ की अनुकम्पा के पंख लगाकर पर्यटन महाप्रबंधक के पद पर जा बैठी। जबकि स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन (PCS) से चुने हुए एक तहसीलदार को लगभग 20-22 साल की सेवा के बाद SDM (उपखंड अधिकारी) के लेवल पर प्रमोट किया जाता है। तहसीलदार SDM का जूनियर लेवल का अधिकारी होता है।
ऐसे में सृष्टि जैन को सारे अनुभवों के परे जाकर पर्यटन महाप्रबंधक बनाना बेहद शोचनीय विषय है। तहसीलदार सृष्टि जैन पर राठौड़ की राठौड़ी अनुकम्पा न जाने कितने संघर्षरत अफ़सरों के अधिकारों व हक़ों पर कुठाराघात है। सरकार का यह दोहरापन प्रशासनिक सेवाओं में सेवारत उच्च अधिकारियों के मनोबल को कमज़ोर करता रहा है।