बिलखती वीरांगनाओं पर राजस्थान पुलिस की निर्मम कार्यवाही
वीर शहीदों की वीरांगना हुई सरकारी प्रताड़ना का शिकार । सचिन पायलेट भी नहीं दिलवा पाए इन वीरांगनाओं को न्याय मुंह में घास पकड़े रोती वीरांगनाओं पर पुलिस की निर्मम कार्यवाही । वीर शहीदों की सांसे तब पुनः सिसक उठी जब वीरांगनाओं की नाममात्र की मांगों पर सरकार ने न केवल उन्हें प्रताड़ित किया बल्कि उनके समर्थन में उठने वाली आवाज को दमनीय तरीके से दबाया। क्या एक सरकारी नौकरी, राष्ट्र के नाम समर्पित होने वाली सांसों से बड़ी हो गई, मुंह में घास पकड़े बिलखती वीरांगनाएं , और उनपर पुलिस की निर्मम कार्यवाही, क्या यही देखने के लिए उन वीरों ने अपने प्राण त्यागे थे । वीरांगनाओं के समर्थन में उतरे वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा को गिरेबान पकड़कर हिरासत में लेना सरकार की कायरता कम, शहीदों की शहादत का मजाक ज्यादा है । कानूनी क्रूरता का यह खेल और वह भी शहीदों की शहादत के नाम पर इस वर्तमान गहलोत सरकार पर अमिट निशानी छोड़ गया है ।