ससुराल के मकान पर जड़े ताले के बाहर 02 मासूम बच्चों के साथ भूखी प्यासी बैठी है ज्योति
गहलोत राज में दहेज़ का दंश आज भी झेल रही बेटियाँ गहलोत की महिला उत्पीड़न राहत और सशक्तिकरण की नीति पर बड़ा प्रश्न आखिर इस दौर में दहेज़ का दानव कैसे हैं ज़िंदा
मानसरोवर थाने ने FIR क्यों नहीं की दर्ज पति विकास की बीमारी का नाटक आया आड़े!
02 मासूम बच्चों के साथ चार दिन से न्याय के लिए दर-दर भटक रही ज्योति! गहलोत सरकार के महिला उत्पीड़न राहत और दहेज़ लोभियों पर कड़ी कार्यवाही के वादे कहाँ हैं?
मानसरोवर पुलिस थाना (दक्षिण)भी अनसुनी कर रहा है पीड़िता की पीड़ा और नहीं दिला रहा कोई प्राथमिकी राहत , गहलोत के मिशन 2030 से पहले द्वार पर खड़ा बड़ा सवाल ,सरकार के ही विभागों में कार्यरत हैं दहेज़ के लोभी ज्योति निर्मल के ससुराल वाले लेकिन अब तक नहीं हुई है कड़ी कार्यवाही।
ज्योति निर्मल का पति विकास चौकड़ायत आबकारी विभाग में डबल एओ की पोस्ट पर,ननद डॉ किरण सरकारी अस्पताल एसएमएस में कार्यरत,जेठ प्रशांत चौकड़ायत आईडीबीआई बैंक मैनेजर और जेठानी चन्द्रकान्ता चौकड़ायत पीएनबी बैंक में कार्यरत हैं और हाउस वाइफ सास जयरानी चौकड़ायत सब मिलकर शादी के लगभग एक माह बाद से ही लगातार दहेज़ के लिए कर रहे हैं प्रताड़ित ज्योति निर्मल को
कुलदीप गुप्ता / हिलव्यू समाचार, जयपुर।
गुर्जर की थड़ी स्थित शांति नगर बी प्लॉट नम्बर 87 बी में रहने वाली ज्योति निर्मल दहेज प्रताड़ना की शिकार भूखी प्यासी अपने दो छोटे छोटे मासूम बच्चों को लेकर पिछले चार दिन से दर-दर की ठोकर खाती हुई इधर से उधर न्याय के लिए भटक रही है और ससुराल वालों के ज़ुल्म की इंतिहा से थककर ज्योति निर्मल ने जब पुलिस से मदद की गुहार लगाई तो मानसरोवर पुलिस थाना (दक्षिण) ने भी ताला खुलवाने सम्बंधित कोई सहायता नहीं की और न ही अब तक कोई एफआई आर दर्ज़ की है। लगभग 4 दिन गुज़र गए हैं लेकिन ससुराल के मकान पर जड़े ताले के बाहर आस लगाए भूखी प्यासी बैठी है ज्योति 02 मासूम बच्चों के साथ।
मामला एक नज़र में?
ज्योति निर्मल की शादी 17 जनवरी 2019 को विकास चौकड़ायत से हुई थी। शादी के एक महीने बाद से ही दहेज के लिए ससुराल के समस्त परिवारजन सास जयरानी, पति विकास चौकड़ायत, जेठ प्रशांत चौकड़ायत, जेठानी चन्द्रकान्ता और ननद डॉ किरण ने मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरु किया सिर्फ़ प्रताड़ित ही नहीं बल्कि ज्योति निर्मल के परिवार वालों के साथ भी दुर्व्यवहार किया जाता रहा और ज्योति को गाहे-बगाहे जान से मारने की धमकी भी दी जाती रही है। दिनाँक 23 सितम्बर को भी ज्योति निर्मल के साथ पुनः मारपीट की गई और पुनः 24 सितम्बर को भी ज्योति निर्मल को शारिरिक रूप से प्रताड़ित किया गया तब जैसे तैसे ज्योति ने स्वयं की जान बचाई और पड़ोसियों एवं खुद की मम्मी मौसी की मदद लेकर पुलिस स्टेशन पहुँची पर पुलिस द्वारा भी कोई एफआईआर दर्ज़ नहीं की गई। जबकि गहलोत सरकार में अभी कुछ माह पूर्व ही तुरन्त एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं लेकिन धरातल पर आज भी इस नियम की क्रियान्वित ज़ीरो लेवल पर है।
एक तरफ वर्तमान राज्य सरकार महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण को लेकर बड़े बड़े वादे कर रही है और साथ ही पुलिस भी महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए सजग रहने का दावा करती नज़र आती है लेकिन वास्तविक रूप में न सरकार की नीतियाँ काम कर रही हैं और न पुलिस द्वारा धरातल पर कोई ठोस कार्यवाही की जा रही है। आख़िर ऐसा क्यों ? आख़िर ज्योति जैसी पीड़ित,बेसहारा महिलाओं के लिए कौनसी सरकार सजग,सख़्त और गम्भीर होगी और कब होगी?