मैसर्स ओसवाल कंप्यूटर्स एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड एवं नगर निगम ग्रेटर से कुछ प्रश्न-
◆उपरोक्त फर्म का टेंडर वर्ष 2012 में समाप्त हो गया फिर किस आधार पर फर्म लगातार सेवाओं में सक्रिय रही?
◆उपरोक्त फर्म द्वारा दिए गए कार्यों व सेवाओं की पूर्णता में कमी के बावजूद निगम ग्रेटर ने इसे बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाया?
◆उपरोक्त फर्म की राशि दर लगातार बढ़ाई गई जबकि उसकी सेवाओं में और उसके परिणामों में कमियां रही क्यों?
◆ प्रति कंप्यूटर औसत 17000 रुपए का भुगतान उसे दिया जा रहा है जो की अन्य राजकीय संस्थाओं से कई गुना ज्यादा है क्यों?
◆ इससे कम दर में अन्य फर्मे मेन विद मशीन की आपूर्ति कर रही है फिर यही डाटा कंपनी निगम में क्यों
◆ मैसर्स ओसवाल डाटा फर्म द्वारा टेंडर से संबंधित बैठक में उपस्थिति भी पूर्ण नहीं रही जबकि फर्म द्वारा उल्लेखित है कि ऑपरेटर का प्रतिमाह सत्यापन किया जाता है, कैसे?
◆स्वीकृत ऑपरेटर की संख्या कम ऑपरेटर फर्म द्वारा दिये जा रहे हैं जो कि ओसवाल फर्म की ग़लत कार्यप्रणाली को प्रमाणित करता है।
◆ ऑपरेटर्स को स्वीकृत राशि से कम राशि प्रतिमाह दी जा रही है जो कि सरासर धोखाधड़ी है
◆ फर्म द्वारा उल्लेखित है कि नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय के साथ जोन कार्यालय में मुरलीपुरा,विद्याधर नगर, झोटवाड़ा,मालवीय नगर,सांगानेर,मानसरोवर,जगतपुरा एवं डीएलबी,सचिवालय सहित सभी में मेन विद मशीन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं जबकि इतने सारे कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर की उपस्थिति किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है यह संदिग्ध मामला है।
◆नगर निगम ग्रेटर में ओसवाल फर्म द्वारा उपभोग में ली गयी बिजली की ऑडिट विद्युत शाखा द्वारा 1 करोड़ के लगभग निकाली गई जिसे 20% दर और समयावधि बढ़ाते वक़्त व भुगतान करते वक़्त लगातार नज़रंदाज़ किया जाता रहा है क्यों?
शालिनी श्रीवास्तव /हिलव्यू समाचार जयपुर
ग्रेटर नगर निगम में इंटरनल सॉफ्टवेयर नेटवर्किंग सर्विस उपलब्ध करवाने वाली निजी फर्म ओसवाल कंप्यूटर्स एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड पर कमिश्नर महेंद्र सोनी एवं महापौर सौम्या गुर्जर की अनुकम्पा ने नगर निगम ग्रेटर को करोड़ो का चूना लगाया है। बिना राज्य सरकार की अनुमति लिए उपरोक्त फर्म का भुगतान दर 20% बढ़ा दिया जाना मेयर और आयुक्त दोनों को भूमिका को संदिग्ध और भ्रष्ट प्रमाणित करता है।
स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग की ओर से की गई एक ऑडिट में इसका खुलासा हुआ लेकिन उसके बाद।मामला दबा दिया गया। ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर ने इस बारे में जाँच करने के आश्वासन के साथ बात ठंडा बस्ते में डाल दी और महेंद्र सोनी अपनी अवैध करतूत पर ढीठता से अड़े रहे। इसी के साथ अन्य ज़िम्मेदार अफसरों ने में भी मामला ठंडा कर दिया और जिन अफसरों ने आधिकारिक टिप्पणियों में ओसवाल डाटा कंपनी की बखिया उधेड़ी व ईमानदारी से कमियाँ ज़ाहिर की उन्हें लगातार विरोध दर्ज करने पर स्थानांतरित कर दिया गया।
जानकार सूत्रों के अनुसार ग्रेटर नगर निगम में मैसर्स ओसवाल डाटा फर्म की एंट्री 2005 में हुई थी इस दौरान नियम था कि राजस्थान ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट रूल्स (आरटीपीपी) के तहत किसी भी कंपनी या फर्म का टेंडर 3 साल से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता और अगर बढ़ाया जाता है तो सरकार का अनुमोदन लिया जाएगा। हालांकि नियमों में संशोधन होने के साथ इस डाटा कंपनी का कार्यकाल 2010 तक हो गया और इसके अतिरिक्त 02 साल और बढ़ाया जाना प्रस्तावित माना गया।
इस डाटा कंपनी द्वारा अपनी सेवाओं में ऑनलाइन फॉर्म,ऑनलाइन फाइल,ट्रेडिंग सिस्टम,ई-ऑक्शन,तनख्वाह बनाने का काम,वर्क आर्डर,टेंडर प्रक्रिया,कॉल सेंटर,जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र,विवाह प्रमाण पत्र,सर्वर,सॉफ्टवेयर,स्टेशनरी, कंप्यूटर ऑपरेटर,हार्डवेयर मशीनरी,उपलब्ध करवाया जाता है।
स्वायत्त शासन विभाग और नगर निगम ने वर्ष 2005 में इस कंपनी के साथ अनुबंध किया था उस समय 25 लाख रुपए प्रतिमाह का भुगतान तय किया गया था। नियमानुसार इस कंपनी का टेंडर 2012 में ही ख़त्म हो गया और तब से लगातार अब तक नगर निगम प्रशासन इसके समयावधि को बिना किसी सरकारी सूचना के बढ़ाता चला आ रहा है। इस बीच में जो भी आयुक्त आए रवि जैन, मोहनलाल यादव,दिनेश यादव,यज्ञमित्र सिंह और जो भी मेयर आये अशोक लाहोटी,मनोज भारद्वाज, विष्णु लाटा किसी ने इसकी दरों में इज़ाफ़ा नहीं किया और न ही इसकी समयावधि पर गौर किया न ही इसकी कार्यप्रणाली का गम्भीरता से अवलोकन किया।
जबकि समय-समय पर हुई ऑडिट्स में मैसर्स ओसवाल डाटा कंपनी की कार्यप्रणाली स्पष्ट और संतोषप्रद नहीं थी मगर कभी भी निगम द्वारा कोई गम्भीर कार्यवाही नहीं की गई।
आखिरकार ओसवाल डाटा कंपनी के बुलंद भाग्य से आयुक्त महेंद्र सोनी की एंट्री फिर से हो गयी वो भी आयुक्त नगर निगम ग्रेटर के पद पर जो पुराने सम्बन्धों को ताज़ा करने में वरदान साबित हुई। दोनों की नज़रे मिली,इशारे हुए और फिर हुई मिलीभगत और सांठगांठ
आयुक्त महेन्द्र सोनी ने इस फर्म के विरोध में आई सभी टिप्पणियों और विरोधों और कमियों को दरकिनार करते हुए न सिर्फ़ इस ओसवाल डाटा कंपनी का कार्यकाल निरंतर किया बल्कि भ्रष्टाचार की गलियाँ निकाल कर बिना सरकारी अनुशंसा के 20% दरें बढ़ा दी क्योंकि आयुक्त महेंद्र सोनी के इशारे पर ओसवाल डाटा कंपनी ने गुहार लगाई थी कि वर्तमान दरों से सेवाएँ प्रभावित हो रहीं हैं ओसवाल कंपनी को घाटा हो रहा है। जबकि विद्युत शाखा ने लगभग 1 करोड़ का बिजली व अन्य बकाया भुगतान ओसवाल डाटा कंपनी पर निकाला हुआ था। इसी के साथ-साथ ग्रेटर को दी गयी सेवाओं में कमी की भी लंबी सूची ऑडिट द्वारा निकाली गई। लेकिन भीतरी मिलीभगत से ओसवाल डाटा कंपनी के वारे न्यारे हो गए।
लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि नगर निगम ग्रेटर में अंगद सा पैर जमाये रखने के लिए मैसर्स ओसवाल कंप्यूटर एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड फिर से पुरानी दरों पर काम करने के लिए आमादा है और नए टेंडर में कम दरों के साथ प्रति कम्प्यूटर भुगतान सत्रह हज़ार से घटाकर पंद्रह हज़ार पर ले आया है।
1.मैं इस विषय में जाँच करवाता हूँ अभी मेरे संज्ञान में ये मामला नहीं आया है। बाबूलाल गोयल नए आयुक्त ,नगर निगम ग्रेटर,जयपुर
2.सौम्या गुर्जर से लगातार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे इस विषय पर ताज़ा टिप्पणी नहीं ली जा सकी।