एक तरफ़ अवैध निर्माण दूसरी तरफ मासूम बच्चों का मानसिक निर्वाण , क्या सक्षम बिल्डर ने नहीं किये दो बड़े जघन्य अपराध ? सक्षम बिल्डर्स एवं दिवाकर शर्मा पत्रकार के मध्य हुआ विवाद। कहासुनी बढ़ने विवाद पहुँचा जवाहर नगर थाना क्षेत्र राजापार्क में, बड़े अचरज की बात है एक तो चोरी और ऊपर से सीना जोरी,*अवैध निर्माण करते हैं तब ही होते हैं ब्लैकमेल! , न ग़लत काम करें न ही किसी से डरें! ,◆काँच के घरों में बैठे ये भूमाफ़िया,अवैध निर्माणकर्ता और अतिक्रमणकारी क्यों दबते हैं किसी अधिकारी, कर्मचारी या मीडिया से? , क्यों मिलीभगत करते हैं विभागों से
बिल्डर अगर स्कूल/होस्टल/होटल संचालक भी हो तो क्या उसे मनमानी करने का लाइसेंस मिल जाएगा? ◆क्या मासूम बच्चों/किशोरों को भ्रमित कर वह अपना निजी स्वार्थ साध सकता है◆अपने निजी झगड़े व स्वार्थ के चलते अवैध निर्माणकर्ता सक्षम बिल्डर ने बच्चों को बनाया माध्यम थाने में दबाव बनाकर पत्रकार दिवाकर के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ करने का क्या यह उचित क़दम था?
सारे मामले पर प्रकाश बाद में डाला जाएगा लेकिन एक बड़ा सवाल सरकार और समाज से…. शिक्षा व्यवस्था से,शिक्षा मंत्री से, बाल संरक्षण आयोग से,निजी शिक्षण संस्था संघ से कि —-◆क्या अपने स्वार्थ और पर्सनल झगड़ों में मासूम बच्चों का दुरुपयोग किया जाना जघन्य अपराध नहीं किया सक्षम बिल्डर ने। ◆क्या स्कूल संचालक सक्षम बिल्डर पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए?◆क्या बच्चों के माता पिता को इसके ख़िलाफ़ आंदोलन कर आवाज़ नहीं उठानी चाहिए ? ◆क्या समाजिक संगठनों के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा नहीं है?◆क्या बाल अधिकारिता अधिनियम की धज्जियाँ नहीं उड़ाई गयीं हैं अवैध निर्माण करने वाले सक्षम बिल्डर ने ? उनके इस क़दम ने भले ही चारों ओर माहौल बना दिया हो लेकिन जो प्रश्न खड़े हो गए हैं उनका जवाबदार कौन है?